मैं उन सभी पाठकों का भी बहुत आभारी हूँ जिन्होंने मेरी उपरोक्त रचना को पढ़ने के बाद अपने मूल्यवान समय में से कुछ कपल निकाल कर उस पर अपने विचार लिख कर भेजे!
कुछ पाठकों एवं पाठिकाओं ने यह भी लिखा था कि रचना बहुत छोटी थी लेकिन उन्हें पसंद आई!
उन लोगों द्वारा स्पष्ट विचार प्रकट करने के लिए मैं उनका बहुत धन्यवाद एवम् आभार प्रकट करता हूँ और कहना चाहता हूँ कि किसी इंसान के जीवन में बड़ी घटनाओं के साथ कुछ छोटी घटनाएँ होती रहती हैं!
मेरे जीवन में घटित बड़ी एवं छोटी घटनाओं में से यह एक महत्वपूर्ण घटना थी इसलिए मैंने आपके साथ साझा की थी. मेरे जीवन में घटी घटनाओं पर आधारित रचनाओं की शृंखला को जारी रखते हुए मैं अपनी अगली रचना वहाँ से शुरू कर रहा हूँ, जहाँ मेरी उपरोक्त रचना का अंत हुआ था!
आप यह कहानी परमसुख डॉट कॉम पर पढ़ रहे है।उस रात दस बजे जब हम सब घर पहुंचे, तब दोनों चाचा ने मम्मी पापा से कहा- भईया भाभी, सब काम तो ठीक से निपट गया है, अब हम चलते हैं, एक घंटे में वापिस गाँव पहुँच जायेंगे.मम्मी पापा ने उन्हें समझाया- देखो, पिता जी और माता जी थके हुए हैं और इस समय उन्हें आराम की आवश्यकता है. इसलिए तुम लोग सभी आज रात यहीं सो जाओ, कल सुबह चले जाना.
उत्तर में बड़े चाचा ने कहा- नहीं भईया, कल सुबह बच्चों को स्कूल भी जाना है. आज सुबह से जानवरों और खेतों को नहीं देखा है उन्हें भी कल सुबह से ही देखना होगा. उनकी बात सुन कर पापा ने कहा- ठीक है, अगर ऐसी बात है तो तुम लोग चले जाओ लेकिन पिता जी और माता जी को कुछ दिनों के लिए यहीं छोड़ जाओ. बहन की शादी के लिए जो भी आगे करना है इस बारे में उनसे कुछ विचार विमर्श करना है.
बड़े चाचा ने कहा- ठीक है, माता जी पिता जी को जब तक चाहें यहीं रख लीजिये. अच्छा तो अब हम चलते हैं. जैसे ही चाचा ने यह कहा तब मैंने चाची की ओर देखा तो उन्होंने मुझे चुप रहने का संकेत किया और उठ कर बड़े चाचा के पास जा कर कहा- माता जी और पिता जी को यहाँ अकेले में दिक्कत होगी क्योंकि दिन में तो भईया भाभी और ननद जी काम पर चले जायेंगे और विवेक कॉलेज चला जाएगा. इसलिए उनकी देखभाल के लिए मैं यहीं उनके साथ ही रुक जाती हूँ.
आप यह कहानी परमसुख डॉट कॉम पर पढ़ रहे है। चाची की बात सुन कर जब बड़े चाचा कुछ सोच में पड़ गए तब मम्मी बोली- इसमें सोचने की क्या बात है? यह ठीक ही तो कह रही है कुछ दिनों के लिए इसे भी यहाँ रहने दो. अपनी ननद की शादी की तैयारी में यह भी हमारे विचार विमर्श में कुछ योगदान दे देगी. मम्मी की बात सुन कर सब ने बड़ी चाची को हमारे यहाँ छोड़ कर जाने का फैसला किया और दोनों चाचा, छोटी चाची और बच्चे गाँव चले गए.
उन सबको विदा करके जब हम घर के अंदर आये तब मम्मी पापा और बुआ अपने अपने कमरे में चले गए और चाची मुस्कराते हुए मेरे पास आई और धीरे से कहा- हम रात को बारह बजे के बाद तुम्हारे भंडार में जितना भी माल है वह सब निकलवाने आयेंगे. उसके बाद वह दादा जी और दादी जी के कमरे में चली गई और मैं अपने कमरे में जा कर अपने सभी कपड़े उतार कर नग्न ही बिस्तर पर लेट गया.लेटे लेटे मुझे मामा मामी का ख्याल आया तो अपने सकुशल पहुँचने की पुष्टि करके के लिए उन्हें फोन लगाया.
जब मामी ने फोन उठाते ही मेरी आवाज़ सुनते तो तुरंत मेरी खैर खबर के बहुत से प्रश्न कर दिए. मैंने उन सब प्रश्नों का उत्तर दे कर जब उनसे उनकी खैर खबर पूछी तब रुआंसी हो कर बोली- मुझे तीन माह तक आनन्द और संतुष्टि देकर तरसने के लिए छोड़ कर चले गए हो और अब पूछ रहे हो कि मैं कैसी हूँ. तुमने फ़ोन करके बहुत अच्छा किया क्योंकि मैं अभी अभी तुम्हें ही याद कर रही थी. आज तेरे मामा की रात की पारी है और मैं यहाँ अकेली बिन पानी की मछली की तरह तड़प रही हूँ.
मैंने उत्तर में कहा- मामी, मुझे अत्यंत दुख है कि मुझे आपको तरसने के लिए अकेला छोड़ कर आना पड़ा इसे आप मेरा दुर्भाग्य एवं मेरी मजबूरी समझ लीजिये. आप ही बताएँ कि मैं क्या करता क्योंकि अपनी पढ़ाई के लिए मुझे घर वापिस तो आना ही था.
आप यह कहानी परमसुख डॉट कॉम पर पढ़ रहे है। उसके बाद मैंने मामी से कुछ देर तक यौनक्रीड़ा की बातें करी और जब मामी हस्तमैथुन कर के अपने आप को संतुष्ट कर लिया तब मैंने कहा- अच्छा, अब मैं फोन रखता हूँ, जब भी समय तथा मौका मिलेगा आप से बात करता रहूँगा!
फ़ोन बंद कर घड़ी पर समय देखा तो रात के बारह बज चुके थे और चाची कभी भी आ सकती है इसलिए निवृत्त होने के लिए बाथरूम में चला गया! जब मैं बाथरूम से वापिस आया तब देखा कि चाची मेरे बिस्तर पर बैठी कुछ सोच रही थी, मैंने पूछा- मेरी प्यारी चाची जान, बड़ी गुमसुम सी हो कर बैठी क्या सोच रही हो?
मेरी और देखते हुए वह बोलीं- मैं सोच रही थी कि क्यों न हम नीचे मेरे वाले कमरे में चलें. इस तल पर तो तुम्हारे मम्मी-पापा और बुआ के कमरे है, उनमें से कोई भी जाग गया तो हम परेशानी में पड़ सकते हैं! उनकी बात सुन कर मैं बोला- ठीक है चाची, आप जाकर अपने बाथरूम का पिछला दरवाज़ा खोल दो तब तक मैं इस कमरे को अन्दर से बंद करके मेरे बाथरूम के पीछे की सीढ़ियों से नीचे आता हूँ!
मेरी बात सुन कर वह उठते हुए बोली- हाँ, यह ठीक रहेगा सभी समझेंगे कि तुम अपने कमरे में सो रहे हो! अपने कमरे का दरवाज़ा बंद कर के जब मैं बाथरूम के पीछे की सीढ़ियों से उतर कर चाची वाले कमरे में दाखिल हुआ तब देखा कि चाची चादर औढ़ कर बिस्तर पर बैठी हुई कुछ सोच रही थी! उनकी नाइटी को पास ही रखी हुई कुर्सी पर बेतरतीब से पड़ी हुई देख कर मैं समझ गया कि चाची चादर के अंदर बिल्कुल नंगी है और एक घमासान युद्ध के लिए तैयार हो कर आई है!
मैंने थोड़ा प्रेम-प्रसंग युक्त होते हुए उनके गाल को चूम कर बोला- मेरी जानेमन चाची, अब क्या हो गया, अब किस सोच में उलझी हुई हो? ज़रूर कोई गंभीर बात है. मेरे कमरे में भी आप ऐसे ही कुछ सोच रही थी और मेरे पूछने पर मुझे नीचे आने की बात कह कर टाल दिया था?
मेरे प्रश्न के उत्तर में उन्होंने मेरे चेहरे को अपने हाथों में लेकर मेरे दोनों गालों को चूम लिया और कहा- अरे, मैं तो तुम्हारे इंतज़ार में ऐसे ही बैठी थी लेकिन कुछ खास नहीं सोच रही थी!
चाची के पास बिस्तर में लेटने के लिए जैसे ही मैंने उनके ऊपर ओढ़ी हुई चादर को थोड़ा सा उठा कर देखा तो मेरे अनुमान की पुष्टि हो गई क्योंकि वह बिस्तर में पूरी नंगी ही लेटी हुई थी! मैंने झट से चाची के ऊपर से चादर को उतार कर कुर्सी पर फेंक दिया और उसके पास लेटते ही उसके होंठों पर अपने होंठ रख कर चूमने एवं चूसने लगा!
चाची ने तुरंत मुझे अपने आलिंगन में ले लिया और मेरे चुंबनों का प्रतिउत्तर मेरे होंठों और जीभ को चूम एवं चूस कर देने लगी.
आप यह कहानी परमसुख डॉट कॉम पर पढ़ रहे है। मुझे चाची के होंठों में व्यस्त हुए अभी पाँच मिनट ही हुए थे जब उन्होंने मेरे एक हाथ को पकड़ कर अपने एक स्तन और दूसरे हाथ को अपने जघन-स्थल पर रख दिया. मैंने उनके संकेत को समझा और अपने दोनों हाथों से उनके दोनों स्तनों को बारी बारी से मसलने तथा जघन-स्थल एवं योनि को सहलाने लगा!
चाची भी अपने एक हाथ से मेरे लिंग को पकड़ कर उसे हिलाने लगी और कभी कभी मेरे लिंग के ऊपर की त्वचा को पीछे खींच कर लिंग-मुंड को बाहर निकाल कर सहला देती! हम दोनों एक दूसरे को प्रगाढ़ चुंबन और गुप्तांगों को सहलाने, हिलाने तथा मसलने की उत्तेजना वर्धक क्रिया को दस मिनट तक करते रहे! दस मिनट बीतते ही चाची मुझसे अलग हुई और तुरंत झुक कर मेरे लिंग को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी और उसमें से निकल रहे पूर्व रस को पीने लगी!
मैं भी घूम कर 69 की स्थिति में होता हुआ चाची की योनि पर अपना मुंह रख कर उसे चूसने लगा तथा उसमें से निकल रहे रस को पीने लगा. अगले दस मिनट तक हम दोनों उस 69 की स्थिति में गुप्तांगों को चूसते चाटते हुए उन में से निकल रहे पूर्व रस को पीते हुए एक दूसरे को उत्तेजित करते रहे! जब हम दोनों ही बहुत उत्तेजित हो गए तब चाची बिस्तर पर सीधी लेट गई और अपनी टांगें फैला कर मुझे उसके साथ संसर्ग करने का न्योता दे दिया!