मैंने झट से अपने लिंग को चाची की योनि के होंठों के बीच में रख कर एक हल्का से धक्का लगाया और आधा लिंग उसमें डाल दिया. चाची ने बहुत ही हल्के स्वर में अहह.. की एक सिसकारी ली और अपने कूल्हों को ऊँचा करके मुझे धक्का लगाने के लिए संकेत किया. मैंने धीरे से धक्का लगा कर अपना पूरा लिंग उनकी योनि में डाल दिया और नीचे झुक कर उनके होंठों पर अपने होंठ रख कर चूमने लगा!
चाची ने मेरे होंठों तथा जीभ को चूमने एवं चूस कर मेरा साथ दिया और कुछ देर के बाद नीचे से कूल्हे उचका कर मुझे संसर्ग करने के लिए कहा! मैंने अपने होंठों को उनके होंठों से हटा लिए और हल्के धक्के लगा कर अपने लिंग को उनकी योनि के अन्दर बाहर करना लगा तब वह भी उचक उचक कर मेरा साथ देने लगी!
कुछ देर के बाद जैसे ही मैंने अपनी गर्दन झुका कर उनके उरोज़ की चूचुक को मुंह में लेकर चूसने लगा वैसे ही वह सिसकारियाँ लेने लगी. उन सिसकारियों के कारण मेरी उत्तेजना बढ़ने लगी और मैं तेज़ी से धक्के लगा कर अपने लिंग को उनकी योनि के अन्दर बाहर करने लगा! क्योंकि अब चाची को आनन्द आने लगा था इसलिए उत्तेजना वश वह भी तेज़ी से उचकने लगी थी और उनकी योनि में रुक रुक कर संकुचन होने लगा था!
लगभग बीस मिनट तक लगातार धक्के लगता हुआ अपने लिंग को उनकी योनि के अन्दर बाहर करने के बाद मैंने उसे बाहर निकाल लिया और सीधा हो कर बिस्तर पर लेट गया. तब चाची मेरे ऊपर आ गई और मेरे लिंग को अपनी योनि के अंदर डाल कर उछल उछल कर संसर्ग करने लगी! दस मिनट के संसर्ग के बाद चाची जब थक कर हाँफने लगी तब वह बिस्तर का सहारा लेकर घोड़ी बन कर खड़ी हो गई और मैंने उनके पीछे से जा कर अपना लिंग उनकी योनि में घुसा कर धक्के लगाने लगा.
अगले पन्द्रह मिनट में पहले मध्यम गति से, फिर तीव्र गति से और अंत में अत्यंत तीव्र गति से धक्के लगाते हुए मैंने चाची को चरम सीमा तक पहुंचा कर उनके योनि रस का स्खलन करवा दिया! चाची की योनि में से निकले गर्म रस की ऊष्मा मिलते ही मेरे लिंग ने भी वीर्य रस की पिचकारी चला कर दी सात आठ बौछार से ही उनकी योनि को हम दोनों के मिश्रित रस से भर दिया! योनि में हो रही संकुचन और टांगों में हो रही कंपन के कारण चाची खड़ी नहीं रह सकी और बिस्तर पर लेट गई. मैं भी पसीने से लथपथ और हाँफता हुआ उनके ऊपर लेट ही गया.
तब चाची अपने एक हाथ से मेरे बालों को सहलाने लगी और मेरे लिंग को अपनी योनि में ही समेटेने की चाह में दूसरे हाथ से मेरे नितम्बों को नीचे की ओर दबाने लगी. लगभग दस मिनट चाची के ऊपर लेटे रहने के बाद जब मैंने उठ कर अपना लिंग चाची की योनि में से निकाला तब उसमें से मिश्रित रस की धारा बाहर निकल पड़ी! इससे पहले कि वह रस बाहर फैलता मैंने तुरंत अपना हाथ उनकी योनि के मुंह पर रख कर उसे बाहर निकलने से रोक दिया. उसी हालत में हम दोनों उठ कर बाथरूम में गए और जब मैंने चाची की योनि पर से हाथ हटाया तो उसमें से बहुत तेज़ी से रस की मोटी धार बाहर निकली!
योनि में से इतनी अधिक मात्रा में रस बाहर निकलते देख कर चाची बोली- विवेक, मैंने तो सोचा था कि तुम्हारे पास रस की छोटी सी टंकी होगी जो दिन में तुमने खाली कर दी थी. लेकिन मैं गलत थी क्योंकि ऐसा लगता है कि तुम्हारे अंदर तो एक बहुत बड़ा टैंक है जिसमें रस का भण्डार जमा कर रखा है!
मैंने उत्तर में कुछ नहीं कहा और अपने लिंग को चाची के मुंह के पास कर दिया जिसे उन्होंने चूस एवं चाट कर साफ़ कर दिया!उसके बाद मैंने नीचे बैठ कर चाची की योनि को अच्छे से साफ़ कर दिया और फिर उठ कर हम बिस्तर पर जा कर सो गए!
सुबह पाँच बजे चाची की नींद खुली तब उन्होंने मुझे जगा कर कमरे से बाहर चली गई और मैं बाथरूम के रास्ते से वापिस अपने कमरे में जाकर सो गया!
सुबह नौ बजे मम्मी, पापा और बुआ के काम पर जाने के बाद जब चाची ने मेरे होंठों को चूम कर मुझे जगाया तब मैंने उन्हें खींच कर अपने साथ लिटा लिया और चूमने लगा! पाँच मिनट के बाद चाची उठ कर खड़ी हो गई और कहा- नाश्ता तैयार कर रही हूँ, जल्दी से उठ कर तैयार हो जाओ!
मैं उठ कर उनके पास खड़ा हो कर उनके उरोज़ों को मसलने लगा. तब उन्होंने मुझे अपने से अलग करते हुए बोली- विवेक, अभी तो मैं कुछ दिन यहीं पर रहूंगी इसलिए यह मस्ती अभी नहीं सिर्फ रात में ही करेंगे!
उसके बाद चाची वहाँ से चली गई और मैं तैयार होने के लिए बाथरूम में घुस गया!तैयार हो कर मैंने चाची के साथ बैठ कर नाश्ता किया और फिर अपने कॉलेज चला गया तथा शाम पांच बजे तक ही घर वापिस आया! आप यह कहानी परमसुख डॉट कॉम पर पढ़ रहे है।
शाम की चाय जब मैंने दादा जी और दादी जी के साथ बैठ कर पी, तब वे काफी देर तक मुझसे मेरी मुंबई की यात्रा एवं वहाँ की ट्रेनिंग के बारे में पूछते रहे और मैं उनके प्रश्नों का उत्तर देता रहा! चाय पीने के बाद मैं अपने कमरे में आ जा कर कपड़े बदलने लगा! तभी चाची भी वहाँ आ कर बिस्तर पर बैठ कर मुझसे मुंबई वाली मामी के बारे में बहुत सी बातें पूछने लगी. मैंने जब उनके सभी प्रश्नों का उत्तर दे दिए तब उन्होंने पूछा- तुमने अपनी मामी की सुन्दरता की बहुत तारीफ़ करी है. क्या तुम्हारे पास उसकी कोई फोटो है?
मैंने कहा- हाँ हैं, हम जब भी मुंबई घूमने जाते थे तब मैंने उनकी और मामा की कई फोटो खींची थी.
चाची ने बोली- तो उनमें से कुछ फोटो मुझे भी दिखा दो. मैं भी तो देखूं कि तुम्हारी मामी कितनी सुन्दर है.
मैं अपने कंप्यूटर पर पेन ड्राइव लगा कर मुंबई में खींची हुई मामा, मामी और मेरी फोटो और वीडियो चाची को दिखाने लगा और वह मेरी मामी की सुन्दरता की तारीफ़ करती रही. अभी चाची को कुछ ही फोटो दिखाई थी की तभी मुख्य द्वार के घंटी बजी और यह देखने के लिए कि कौन आया है मुझे चाची को वहीं छोड़ कर बाहर जाना पड़ा.
बाहर मेरा दोस्त आया था जिसे मेरी मुंबई की प्रोजेक्ट रिपोर्ट की एक प्रतिलिपि चाहिए थी जिसके अनुसार वह भी अपने प्रोजेक्ट रिपोर्ट लिख सके!मैंने अपने लैपटॉप में लिखी उस रिपोर्ट की एक प्रतिलिपि अपने पापा के कमरे में रखे प्रिंटर पर छाप कर उसे दे दी.
लगभग दस मिनट के बाद जब दोस्त चला गया तब मैं कमरे में गया तो चाची को कंप्यूटर पर एक वीडियो देखने में तल्लीन देखा.
यह देखने के लिए की वह कौन सी वीडियो देखने में इतनी लीन थी, मैं कंप्यूटर के सामने गया तो मेरे होश उड़ गए और मेरा सिर चक्कर खाने लगा तथा मेरा शरीर पसीने से भीग गया!
मेरी अनुपस्थिति में चाची ने जब मेरे द्वारा खोले गए फ़ोल्डर की सभी फोटो एवं वीडियो देख लिए थे तब उन्होंने एक दूसरे फ़ोल्डर को खोल लिया था. उस फ़ोल्डर में मामी की नंगी एवं मेरे साथ सम्भोग करते हुए की फोटो एवं वीडियो थी जिनमें से एक वीडियो को मामी बहुत तल्लीन होकर देख रही थी!
उस वीडियो को बंद करके के लिए जैसे ही मैंने हाथ बढ़ाया, चाची ने मेरा हाथ पकड़ लिया और कहा- कल रात से मुझे शक था कि तुम मुंबई में भी किसी के साथ सम्भोग करते थे. लेकिन वह तुम्हारी मामी होगी इसका अंदेशा बिल्कुल नहीं था!
मेरा राज़ तो खुल चुका था इसलिए मैं दबी आवाज़ में बोला- चाची, आपको तो सब पता चल गया है अब आप से क्या छिपाना. मैं आशा करता हूँ कि आप मेरा यह राज़ किसी को ज़ाहिर नहीं करोगे और अपने तक ही सीमित रखोगे. आपको यह शक कैसे हुआ कि मैं मुंबई में किसी से सम्भोग करता था?
चाची ने मेरा मुख चूमते हुए कहा- मेरे राजा, तुम्हारा यह राज मैं किसी को नहीं बताऊंगी यह मेरा वादा है तुमसे. कल रात जब मैं तुम्हारे कमरे का दरवाज़ा खोलने लगी थी तब तुम फोन पर शायद अपनी मामी से ही यौनक्रीड़ा की बाते कर रहे थे. तब मुझे कुछ शक हुआ और मैंने दरवाज़ा नहीं खोला तथा बाहर खड़ी होकर तुम्हारी बातें सुनती रही.
मैंने चाची से पूछा- तभी रात को बिस्तर पर बैठे आप इसी बारे में सोच रही थी? क्या उस समय आपको यह शक हुआ था कि मैं मामी के साथ बात कर रहा हूँ?
मामी बोली- हाँ इसी बारे में सोच रही थी लेकिन मेरे दिमाग में तुम्हारी मामी के बारे में तो कोई बात नहीं आई थी. उस समय तो मैंने सोचा कि तुमने मुंबई में सम्भोग के लिए किसी युवती को फंसाया होगा और उसी से बात कर रहे थे.
इसके बाद चाची उठ कर मेरे होंठों को चूमा और कहा- अच्छा, अब मैं चलती हूँ अभी मुझे बहुत काम है. इस बारे में सब बातें रात में करेंगे.
चाची के जाने के बाद मैंने अपने कपड़े बदले और थोड़ी देर आराम करने के लिए बिस्तर पर लेट गया और कब नींद आ गई पता ही नहीं चला.