हेल्लो के प्यारे दोस्तों वैसे आप लोग मुझे नही जानते और ना ही मै आप लोगो को जनता हूँ सो मै अपनी सच्ची कहानी भी डॉट नेट पर पोस्ट कर रहा हूँ और अगर कोई गलती हो जाये तो माफ़ कर आगे की कहानी पढना तो बात आज से करीब दस साल पहले की है. मेरी उमर तब २७ साल की थी. शादी हो चुकी थी. एक लड़का हो चुका था. वैसे तो मै १३ साल की उमर से ही चुदाई में पारंगत हो चुका था. अभी इस बारे में कई अनुभव है जिन्हें मै कहानी बना के पर पोस्ट करता रहुगा. मेरे ३ साले है. वैसे मेरी बड़ी सलहज की मैंने कैसे चुदाई की ये आप पढ़ चुके है. मेरा दूसरा साला भी मेरी बीवी से उमर में बड़ा है. बड़ा तो तीसरा भी है. लेकिन उसकी शादी मेरी शादी के बाद हुई. मेरे बड़े साले के दो बेटे थे फ़िर भी मैंने नेहा भाभी को फ़िर से माँ बना दिया था. मेरे दूसरे साले की बीवी ६ साल शादी के होने के बाद भी माँ नही बन पायी थी. मेरी पत्नी के साथ जो बात उसने अपने पति के साथ सेक्स सम्बन्ध की बात कही उससे मैंने अंदाजा लगाया था की शायद वो अभी तक कुंवारी ही है. आप यह कहानी पर पढ़ रहे है |
उस समय वो २६ साल की थी. बहुत सुंदर है, उसका फिगर ३४-२८-३६, ऊंचाई ५.३”, वो बहुत सेक्सी है. जब भी मैं उसके बारे मे सोचता तो उसको गोद में उठा कर जमकर चोदने का मन करता. मेरी लम्बाई ५.८ है लेकिन मैं कुछ नही कर पाता. वो मेरी पत्नी से सारी बातें शेयर करती थी। वो मेरी पत्नी को सेक्सी फ़िल्में और की सेक्सी किताबें दिया करती थी। मेरी पत्नी मुझसे मांग कर उसे ये सब देती थी. उसके बाद मैं इन्टरनैट पर सेक्सी कहानियाँ ढूंढने लगा, और जो की किताबे ढूढने मार्किट जाना पड़ता था वो ऑनलाइन ही मिल गयी मै उन्हें प्रिन्ट करके उन्हें देने लगा। उसकी इन हरकतों से मै समझ गया था की एक बार कोशिश करते ही वो अपनी चूत मेरे लंड के हवाले कर देगी. मैं बस उसको चोदना चाहता था। जब मेरी पत्नी के बच्चा हुआ, दो महीने के बाद वो मायके गई। अब उसके मन में भी माँ बनने की चाह होने लगी।मेरी ससुराल के पास ही एक मन्दिर में मेरी पत्नी को किसी मन्नत की पूजा देनी थी. मै किसी काम की वजह से उसके साथ नही जा पाया और दूसरे दिन जाने का प्रोग्राम बनाया. लेकिन दूसरे दिन मेरी पत्नी अपने भाई के साथ वहां चली गई क्योकि रिज़र्वेशन किया हुआ था. उसकी भाभी मुन्नी रूक गई क्योकि मै वहां पहुँचने वाला था. मेरी पत्नी और ख़ास कर मेरे बेटे को देख कर और उससे पहले उसने नेहा भाभी के बेटे को भी देखा था और उनसे मिल कर बहुत बातें की थी. और ३६ साल की उमर में नेहा भाभी बेटे को जन्म दिया. और वो भी मुझसे चुदवा कर. इस बात की उसे शायद भनक लग चुकी थी. आप यह कहानी पर पढ़ रहे है |
जब मैं अगले दिन शनिवार के दिन सुबह ससुराल में गया तो वो मुझे देख कर खुश हुई। जैसा की मैंने कहा था की ससुराल में मेरे दो साले रहते है. बड़ा साला नाशिक में ही रहता है. मैंने देखा मेरा दूसरा साला मेरी पत्नी के साथ दो दिन के लिए पास के शहर मन्दिर गया हुआ है और छोटे की नई शादी हुयी थी इसलिए वो अपने ससुराल गया हुआ था. मैंने देखा की मुन्नी बहुत उदास सी है ज्यादा बात भी नही कर रही थी. घर में वो और मेरी सास ही थे. सास के पैरों में तकलीफ होने से वो नीचे वाले हिस्से में रहती थी. और ऊपर तीन कमरे और एक बड़ी सी छत थी. दोनों भाई दो कमरे में रहते थे और तीसरा कमरा मेहमानों के लिए या फ़िर मै और गौरी या बड़े भाई और नेहा भाभी के लिए था. उन्होंने मुझे वोही कमरा दिया. मुन्नी का कमरा थी मेरे सामने ही था. मै जा कर फ्रेश हुआ. मै जब नहा कर बाथरूम से टॉवेल में निकला तो मुन्नी मेरे सामने थी. मैंने देखा उसकी नज़र सीधे मेरे टॉवेल में बंद लंड की तरफ़ गई. उसके बाद मै जब पजामा पहन कर बैठा तो मुझे पानी और चाय देने के लिए वो इस तरह झुक रही थी की उसके बड़े गले के ब्लाउज से उसकी चुन्चिया आधी बहार झाँकने लगती थी. मेरा लंड पाजामे में खड़ा होने लगा था और उसने ये देख भी लिया था. मैंने भी उनकी तरफ़ देखा. वो थोड़ा मुस्कुराई लेकिन वो मेरी तरफ़ बड़ी उम्मीद भरी नज़रों से देख रही थी. कई बार मुझे देख कर वो अपना पल्लू ठीक कर रही थी. खाना खाने के बाद दिन में हम दोनो बातें करने लगे मैने बातों बातों में पूछा आप कि के चेहरे पर वो मुस्कान नहीं दिखाई देती। उसने कहा कुछ नहीं बस ऐसे ही। मैंने उससे कहा – देखो मैं आपके दोस्त की तरह हूँ, आप मुझे बताओ कि क्या मैं आपकी कुछ हेल्प कर सकता हूँ। उसने कहा “ऐसी कोई बात नहीँ।” फ़िर दुबारा उससे पूछा तब उसने कहा कि “वो मुझे डांटते रहते हैं और ठीक से प्यार भी नहीं करते।” मैंने कहा “मैं जानता था कि यही बात होगी। अब आप साफ साफ बताओ कि क्या परेशानी है. वैसे मुझे गौरी ने बताया की वो आपको वो ख़ुशी पूरी तरह नहीं दे पाते।” फ़िर वो रोने लगी और कहा कि “क्या बताऊं वो ठीक तरह से नहीं कर पाते। कर नही पाते क्या ..
अभी तो मै कुवारी लड़की ही हूँ |
सच तो ये है की शायद मै औरत ही नही बनी लड़की से.” और वो अपने हाथों से चेहरा छुपा कर सिसकने लगी. मैंने उसके कंधे पर हाथ रख कर थपथपाया और हाथ वही रखे और उसकी पीठ पर फेरने लगा. मेरी उँगलियाँ उसके ब्लाउज से खुले हिस्से को आहिस्ता आहिस्ता छेड़ने लगी. उसके चहरे से हाथ हटा कर गालों के आंसू पंचे और गल सहलाते हुए मैने कहा कि आज कल ऐसी बहुत सी औरतें है जिनके साथ यह प्रॉब्लम है पर वो तो ऐसे नही रोंती। उसने मेरी तरफ़ देख कर कहा “तो तुम ही बताओ कि मैं क्या करूं….