लेखक- सीमा सिंह
नमस्कार दोस्तो, मैं आपकी सीमा सिंह, आप मेरे नियमित पाठक को सामने एक नई कहानी लेकर आई हूं मैं चाहती हूं जितना प्यार आपने मेरी और कहानियों को दिया उतना ही प्यार इस कहानी को मिले।
मैं आपको बता देना चाहती हूँ कि मेरी सभी कहानियाँ काल्पनिक हैं, जिनका किसी से भी कोई सम्बन्ध नहीं है, अगर होता भी है, तो यह मात्र संयोग ही होगा।
उउउउह्ह्ह आआआह्ह्ह्ह्ह्ह आआआआ ह्ह्ह्ह्ह् ह्ह्ह्ह मां मर गईईईईई, उउउउह्ह्ह आआआह्ह्ह्ह्ह्ह आआआआ ह्ह्ह्ह्ह् ह्ह्ह्ह ।
ये चीखे एक कमरे के अंदर से आ रही थी, इस समय कमरे के अंदर तीन लोग थे, दो औरत एक आदमी, एक औरत कुर्सी पर बैठी थी।
उसकी कुर्सी पलंग की तरफ थी, और वो औरत अपनी आंखो से पलंग पर हो रही हर क्रिया पर पूरा ध्यान दे रही थी, पलंग पर दूसरी औरत थी, उसके शरीर पर एक भी कपड़ा नहीं था।
कह सकते है कि वो पूरी नंगी थी, और ये चीखे जो कमरे के बाहर जा रही थी ये इसी औरत की थी, वो पलंग पर पेठ के बल लेटी हुई थी, उसकी आंखों से आसू बहे जा रहे थे।
जो आदमी उसके साथ था वो एक शैतान सा दिखने वाला आदमी था जो उसके ऊपर चढ़ा हुआ था, उसका लंड बहुत ही बड़ा और मोटा था।
आप कह सकते है कि उस आदमी का लंड किसी घोड़े से कम नहीं था, ये लंड उस लड़की की गांड़ के अंदर बाहर हो रहा था, ये औरत पहली बार गांड़ मरवा रही थी।
और ये घोड़े जैसा लंड उसकी गांड़ की धज्जियां उधेड़ रहा था, पर वो औरत उस आदमी को करने से रोक नहीं रही थी, वो सब कुछ सहन कर रही थी।
वो हरामी मर्द बिना उस औरत की परवा किए ऐसे उसकी कुंवारी गांड़ को मार रहा था, कि ये उसकी जिंदगी की आखरी गांड़ है, और वो अब कभी गांड़ नहीं मार पाएगा।
वो आदमी अपना पूरा लंड गांड़ से बाहर खींचता और फिर ताकत से पूरा लंड गांड़ में गुसा देता, जैसे ही लंड पूरा तेजी से अंदर जाता तो वो औरत बहुत तेज चिलाती।
वो लगातार ऐसा ही बार बार कर रहा था, इतने में जो औरत कुर्सी पर बैठी थी वो खड़ी हुई, शायद उस औरत की चीखें अब उससे देखी नहीं जा रही थी।
वो चल कर पलंग के पास गई और उस आदमी से बोली सर लंड बाहर निकाल लीजिए, उसकी बात सुनकर उस आदमी का मन नहीं हुआ अपना लंड उस औरत की गांड़ से बाहर निकालने का।
पर उस आदमी ने मन मार कर धीरे धीरे अपना लंड बाहर निकाला और घुटनों के बल बैठ गया, उसके पैरों के बीच में अब भी उस औरत के पैर दबे हुए थे।
जिसे ही लंड उस औरत की गांड़ से बाहर निकाला तो वो लम्बी लम्बी सांसे लेने लगी, गांड़ के दर्द के कारण उसकी आंख से अभी भी आसू निकल रहे थे।
और उदर वो औरत पलंग पर आई और नीचे की ओर झुक गई, उसने देखा इस औरत की गांड़ का छेद अभी भी बंद नहीं हुआ था।
उसकी हालत देखकर वो समझ सकती थी, कि इस शैतान आदमी को इस औरत की गांड़ मारने में बहुत मजा आ रहा है, इसलिए वो अपना लंड बाहर नहीं निकाल रहा था।
उसने अपना बायां हाथ आगे किया और अपने हाथ को उस औरत के चूतड़ों की दरार के बीच में रख दिया, और अपने हाथ की उंगलियां से उसके गांड़ के छेद को फैला दिया।
देखने में ऐसा लग रहा था जैसे वो चेक कर रही हो कि उस औरत की गांड़ को कुछ हो तो नहीं गया था, इस आदमी ने उस औरत की गांड़ को मार मार कर फाड़ न डाली हो।
पर ऐसा कुछ नहीं था, उस औरत ने अपना दायां हाथ आगे कर दिया था, उस हाथ में एक प्लास्टिक की शीशी थी, उस शीशी के ऊपर ढक्कन नहीं था।
बल्की ढक्कन की जगह वहां एक ढाई इंच लंबा एक पोला पाइप था, जिसका ज्यादातर इस्तमाल गाड़ी और बाइक में ऑयल रीपेरिंग में किया जाता था।
उस औरत के हाथ में जो शीशी थी उसने खुशबूदार चीज थी, उसने वो नोकदार पाइप उस लेटी हुई औरत की गांड़ के अंदर घुसा दी।
उस औरत की गांड़ अभी भी इतनी खुली हुई थी कि उस कुर्सी वाली औरत की उंगली आसानी से बिना रोक टोक के अंदर चली जाए, तो ये उसकी उंगली के मुकाबले ये पाइप तो आधे से भी कम था।
उसे तो अंदर जाने में कोई परेशानी नहीं हुई, जब वो पाइप अंदर था तो उस औरत ने उस प्लास्टिक की शीशी को दबा दिया जिसमे से ऑयल उसकी गांड़ में भर गया।
फिर उसने वो शीशी उसकी गांड़ से बाहर निकाल ली, जब वो उस पाइप को निकाल रही थी तब उस औरत ने उस आदमी को इशारा किया।
वो आदमी उसका इशारा समझ गया, उसने अपने लंड को पकड़ा और उसका सुपाड़ा गांड़ के छेद पर रख दिया, जिससे ऑयल बाहर न निकले।
फिर वो औरत पलंग से खड़ी हुई और फिर से उसी कुर्सी पर जाकर बैठ गई और उस आदमी से बोली अब चोदिए, ज्यादा मजा आयेगा।
उस शैतान ने ऐसा ही किया अब उसका लंड और आसानी से अंदर आ जा रहा था, और जिस औरत की गांड़ में ये लंड जा रहा था।
अब उसकी चीख पहले से भी बहुत तेज हो गई थी, आंखों से आसू झड़ने की तरह बह रहे थे, ऐसा उस कुर्सी पर बैठी औरत ने क्यों किया ?
और ये शैतान आदमी कौन था जो उस औरत की गांड़ को बेरहमी से चोद रहा था, और ये औरत कौन थी, जो ये सब अत्याचार झेल रही थी।
ये सब जानने के लिए अपको कुछ साल पहले जाना होगा, समय था 31 दिसंबर 2018, रात के 11:45 हो रहे थे, एक लड़की सड़क के किनारे एक पेड़ के पीछे छिपि हुई थी।
एक आदमी उसे जंगल में तलास कर रहा था, उसके हाथ में एक पिस्टल थी, वो उस लड़की को गाली दे रहा था, साली रण्डी कहा भागेगी आज में तेरी जान लेकर रहूंगा।
वो पेड़ की तरफ बड़ रहा था, उस लड़की ने अपने मुंह पर हाथ रख लिया था, क्योंकि जिस पेड़ के पीछे वो छीपी हुई थी, उस पेड़ से निकल रही चीटियां उसके पैर पर चढ़कर।
उसकी खाल को खा रही थी, जिसकी जलन और दर्द को वो सहन कर रही थी, तभी उस आदमी को रोड़ के दूसरी ओर से एक आवाज आई और वो भाग कर रोड़ के दूसरी ओर चला गया।
और वो उस लड़की को ढूंढता हुआ जंगल के अंदर चला गया, जब उस लड़की को यकीन हो गया कि वो आदमी बहुत दूर जा चुका है, तो वो उस पेड़ से दूर हो गई।
और वही जंगल में बैठ कर पेड़ से निकली चीटियां को अपने पैर से हटाने लगी, और कुछ चीटियां कुछ अंदर भी घुस गई थी, जिन्हें वो अपना हाथ डालकर निकाल रही थी।
फिर वो जंगल से निकल कर उस सड़क पर चल ही रही थी वो थोड़ी दूर ही चली होगी कि एक बाइक उसे आती हुई दिखाई दी, उसने उसे रोकने की कोशिश की।
पर उस बाइक वाले ने बाइक नहीं रोकी, बल्की बाइक की स्पीड बड़ा दी, पर वो लड़की उस बाइक से टकरा गई और जमीन पर सर के बल गिर गई।
सर के बल गिरने के कारण वो बेहोश हो गई, वो बाइक भी सड़क पर लहरा गई फिर वो संभल गई, एक मिनट के बाद एक कार टाटा नेक्सन वहा से निकली।
दोनों दंपति पहाड़ों में अपनी शादी की सालगीरा मनाने आए थे, उस लड़की को देखकर उन दोनों ने कार रोक दी, उन्होंने देखा उस लड़की की हालत खराब थी।
वो दोनों हसबेंड वाइफ डॉक्टर थे, उन दोनों ने उस लड़की को उठाया और अपने हॉस्पिटल में ले गए, उन्हें लगा कि शायद ये लड़की जंगल घूमने आई होगी ।
और किसी जंगली जानवर ने उस पर हमला कर दिया होगा, क्योंकि उस इलाके में ऐसी घटना आए दिन होती रहती थी, यहां पर आने वाले टूरिस्ट को बिना गाइड के जंगल में घूमना मना था।
पर अक्सर लोग पैसे बचाने के चक्कर में अकेले निकल जाते थे, फिर हादसों का सीकार हो जाते थे, इस वजह से उन दोनों के लिए ये नॉर्मल था।
दो दिन बाद भी वो लड़की अभी बेहोश थी, और अपनी पुरानी यादों में थी, समय था 10 अप्रैल 2015 वो कार की आगे की सीट पर बैठी हुई थी, कार ठाकुर प्रताप सिंह हरसन डिराइव कर रहे थे।
ठाकुर प्रताप सिंह हरसन की उमर 45 साल थी, पर शरीर गठीला था, उनमें एक कमी थी उन्हें जो लड़की पसंद आ जाती थी, वो उसे अपनी दासी बना लेते थे।
उस लड़की को दासी बनाने के लिए वो किसी भी हद तक चले जाते थे, वो उससे खुद मजा लेते थे, और उससे अपना काम भी निकलवाया करते थे।
उनके दो बिजनेस थे एक बिजनेस था शराब के ठेके लेना, और दूसरा बिजनेस था बिल्डिंग बनाना, शराब के ठेके लेना उनका मुख्य बिजनेस था, उसकी देख भाल अभी वो ही करते थे।
बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन का बिजनेस उन्होने अभी शुरू किया था, क्योंकि ये काम उन्होंने अपने बेटों के लिए किया था, जब वो अपनी पढ़ाई पूरी कर लेंगे तो उसे संभाल लेंगे।
अभी वो ही इस काम को देख रहे थे, कार में बैठी लड़की बहुत डरी हुई थी, उसके दिल की धड़कन बहुत तेज चल रही थी, उसके समझ में नहीं आ रहा था।
कि वो कहां जा रही है, प्रताप ने कार चलाते हुए अपना एक हाथ उसकी जांघ पर रखा और उसके ऊपर फेरने लगा, और बोला जेनिफर आज बहुत सुंदर लग रही हो इस साड़ी में।
जेनिफर एक 23 साल की शादीशुदा लड़की थी, उसकी शादी को दो साल हो चुके थे, जेनिफर घबराते हुए बोली प्रताप जी आप हर बार की तरह घर पर ही कर लेते होटल में जाने की क्या जरूरत थी ?
वो किसी न किसी तरीके से प्रताप जी को होटल जाने से रोकना चाहती थी, पर प्रताप ने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया और कार चलाता रहा ।
होटल से पांच किलो मीटर दूर प्रताप ने कार को साइड में एक पेड़ के पीछे लगा दिया, और जेनिफर से बोला कि 12 अप्रैल 2015 को नए ठेकों की लिस्ट आने वाली है।
जेनिफर सोचने लगी कि लिस्ट से मेरा क्या संबंध हैं ?, जरूर कोई और बात है इस लिए ठाकुर साहब मुझे ले जा रहे है, अभी वो अपने मन में ये सब बातें सोच रही थी।
कि ठाकुर साहब की बात ने धमाका कर दिया, उसने जेनिफर को बताया की मैं कुछ और दुकानों के ठेके लेना चाहता हूं, पर एक प्रॉब्लम है।
ये सुनकर जेनिफर का दिल तेज तेज धड़कने लगा, उसे कुछ गलत होने का सक हो रहा था, उसने घबराते हुए पूछा क्या प्रॉब्लम है उस काम में ?
प्रताप एक काइयां मुस्कान से बोला मुझे सात दुकान का ठेका चाहिए था, वो दोनों अधिकारी मुझे केवल तीन दुकान ही दे रहे थे, पर मैंने उनसे बहुत रिक्वेस्ट की और उनसे बोला कि मैं आपकी हर जरूरत को पूरा कर सकता हूं।
तो बड़ी मुश्किल से उन्होंने अपने दिल की बात बताई एक तो उन्होंने 15 लाख की रिश्वत मांगी और दूसरी डिमांड एक लड़की थी जिसके साथ वो डबल पेनेट्रेशन करेंगे ।
और उन्होंने बोला कि दूसरी डिमांड पहले पूरी करनी होगी, और पहली डिमांड 15 लाख रुपए तुम बाद में दे सकते हो, मैं ये सुन कर बहुत खुश हो गया।
ये मेरी लिए बहुत छोटी बात थी, पर मैं यही पर गलत था मैंने उन्हें बहुत सारी लड़कियों और औरतों की फोटो दिखाई पर उन कमीनों को कोई पसंद नहीं आई।
लिस्ट निकलने का दिन करीब आने लगा था, मेरा काम नहीं बन रहा था, उदर वो दोनों और लोगों से भी बात कर रहे थे, मुझे लगने लगा ये सौदा मेरे हाथ से निकल जायेगा ।
पर मुझे किसी भी हालत में ये सातों दुकानों के ठेके चाहिए थे, चाहे इसके लिए मुझे कोई भी कीमत क्यों न देनी पड़े ?, फिर मैंने उन दोनों को तुम्हारे फोटो भेजे।
आप मेरे साथ बने रहिए और इस बदला कहानी पर किसी भी प्रकार की राय देने के लिए आप मेल पर मुझसे संपर्क कर सकते हैं.