हिंदी चुदाई स्टोरी में पढ़ें कि मैं अपनी सहेली के बॉयफ्रेंड को बहुत पसंद करती थी. मेरा कोई बॉयफ्रेंड नहीं था तो मैं सहेली के बॉयफ्रेंड से ही सेक्स का पहला मजा लेना चाहती थी.
दोस्तो, मेरा नाम रूपा है और मैं बस्ती जिले (उत्तर प्रदेश) की रहने वाली हूँ.
मैं 20 साल की अभी सीलपैक माल हूँ. मैं अभी अभी जवान हुई हूँ और मेरी चुचियां 34 इंच की एकदम टाईट हैं. मेरी कमर 22 इंच की है और मेरी गांड भी बड़ी उठी है, जो कि 30 इंच की है.
मुझे अभी तक किसी ने छुआ तक नहीं है.
मेरा फिगर बिल्कुल पोर्न एक्ट्रेस शे एवांस की तरह है. आप उसको गूगल पर सर्च करके मुझे देख लीजिएगा. आपकी आंखों के सामने मेरी ही तस्वीर उभर कर आ जाएगी.
अभी मैं 12वीं क्लास में हूँ, जिसमें मेरे साथ मेरी बचपन की सहेली मानसी भी पढ़ती है.
ये हिंदी चुदाई स्टोरी अभी एक साल पहले की है, जब मैं उन्नीस साल की थी और ग्यारवीं कक्षा में थी, तो मेरी सहेली और हम दोनों साथ में ही पढ़ते थे.
अभी तक ऐसा कुछ नहीं हुआ था लेकिन अब मेरी सहेली का एक बहुत ही मस्त लड़का ब्वॉयफ्रेंड बन गया था.
उसका नाम अभिषेक था. अभिषेक दिखने में तो बहुत स्मार्ट था ही … साथ ही उसकी बॉडी भी बहुत मस्त थी.
स्कूल में हम लड़के लड़कियों की अलग अलग बिल्डिंग थी. इसलिए अभिषेक मेरी सहेली से छुट्टी में मिलता था या सुबह ही मिल लेता था.
पर उसका मानसी से रोज़ ही मिलना होता था.
उन दोनों की आंखों ही आंखों में बात होती थी.
मैंने कई बार देखा था कि अभिषेक मेरी सहेली को देख कर एक आंख दबा देता था और होंठों को गोल करके उसे चूमने का इशारा कर देता था.
इसके जवाब में मेरी सहेली बस हंस देती थी.
कुछ दिनों में उन दोनों की फ़ोन से भी बात होने लगी.
हमारी क्लास में मेरी ही बेस्ट फ्रेंड ने सबसे पहले ब्वॉयफ्रेंड बनाया था क्योंकि वो भी बहुत स्मार्ट थी.
उन दोनों की जोड़ी भी बहुत मस्त लगती थी.
जल्दी ही पूरा स्कूल उन दोनों के बारे में जान गया था.
अभिषेक के पिताजी शहर के रसूखदार हस्ती थे … इसलिए अभिषेक से लगभग पूरा स्कूल टीचर और प्रिंसिपल तक डरते थे.
इसी वजह से मेरी फ्रेंड को कोई आंख उठा कर भी नहीं देखता था.
अब मेरा भी बहुत मन होता था कि मैं भी अपना एक ब्वॉयफ्रेंड बना लूं.
लेकिन अभिषेक के साथ रहने के डर के चलते कोई लड़का मुझे भी नहीं देखता था.
मैं भी शर्म के चलते सामने से किसी को जाकर बोल नहीं सकती थी.
दो महीने तक इन दोनों का इसी तरह से चलता रहा.
ये दोनों एक दूसरे को बहुत प्यार करते थे, शायद इसी लिए अभी तक दोनों ने सेक्स नहीं किया था.
बस वो दोनों किस करते और गले लग कर एक दूसरे से प्यार का इजहार कर लेते थे.
एक दिन मेरी फ्रेंड मुझसे बोलने लगी कि अभिषेक ने एक जगह शाम में इंग्लिश की कोचिंग ज्वाइन की है, क्यों ना हम लोग भी उसी कोचिंग को ज्वाइन कर लें.
तो मैंने बोला- एक बार घर में पूछ लेती हूँ.
इसके बाद मैंने अपने घर से परमिशन ले ली और अगले मंडे से हम लोग भी उसी समय पर अभिषेक के साथ इंग्लिश पढ़ने जाने लगे.
अभिषेक बीच में बैठता और हम दोनों अगल बगल बैठ जाती. वो दोनों पूरे समय आपस में लगे रहते.
इन्हीं हरकतों के चलते एक दिन अभिषेक का लंड तन गया जो कि मुझे उसकी पैंट से साफ साफ उभरा हुआ दिखने लगा.
उसके खड़े लंड को देख कर मुझे बड़ी सनसनी हुई.
उसी दिन स्कूल में मेरी दूसरी सहेली ने मुझे अन्तर्वासना साइट के बारे में बताया था, तो आज मुझे कुछ ज्यादा ही वासना और चुदास परेशान करने लगी थी.
उस रात में मैं अपने कमरे में मोबाइल पर अन्तर्वासना की साईट खोल कर सेक्स कहानी पढ़ने लगी.
मुझे चुदाई की कहानी पढ़ कर बहुत मज़ा आया और उसी कहानी को पढ़ते हुए मैं दो बार गीली भी हो गयी.
अन्तर्वासना में एक सेक्स कहानी ऐसी थी, जिसमें मेरे जैसी ही लंड से वंचित लड़की, अपनी सहेली के आशिक के लंड से चुद जाती है.
उस सेक्स कहानी को पढ़ कर मैंने सोचा कि मेरी सहेली और अभिषेक दोनों सेक्स नहीं करते हैं.
एक बार मेरी फ्रेंड तो कंट्रोल कर सकती है … लेकिन लड़का कैसे रुक रहा है. उसे तो अब तक मेरी सहेली को चोद ही देना चाहिए था. उसका लंड भी खड़ा हो रहा था.
ये सब दिमाग में आया, तो मैंने सोचा कि क्यों ना अभिषेक के साथ एक चांस मार कर देखा जाए.
अब अगले दिन मैं स्कूल थोड़ा टिपटॉप होकर गई … मतलब थोड़ा सा काजल और लिपिस्टिक लगा कर खुद को हॉट सी दिखने वाली गर्ल बनाया.
मैंने स्कर्ट भी शॉर्ट पहनना शुरू कर दिया.
उस दिन मैंने अभिषेक को देखा, तो वो मुझे ही बार बार देख रहा था.
आज मैं कोचिंग में भी एक बिल्कुल फिटिंग की जींस और फिटिंग का वाइट टॉप डाल कर गयी और थोड़ा मेकअप भी कर लिया था.
जब मैं कोचिंग के बाहर अपनी फ्रेंड के साथ पहुंची, तो पहले वो अपने यार अभिषेक से मिली.
उसके बाद अभिषेक मेरी फ्रेंड के सामने ही मेरे पास आकर बोला- क्या बात है आजकल बहुत सज-संवर कर आती हो, कोई मिल गया है क्या!
मैंने हंस कर बोला- नहीं यार … मैं तो पहले से ही स्मार्ट हूँ.
इस बात पर वो मेरा मज़ा लेते हुए बोला- अरे चलो चलो … रहने दो, ज्यादा अपने मुँह मियां मिट्ठू न बनो, पहले तो तुम चुड़ैल लगती थीं.
उसकी इस चुटकी पर मैं उसे मारने दौड़ी, तो वो खिलखिलाता हुआ भाग गया.
उसके बाद उसने अपनी गर्लफ्रेंड के सामने ही मज़ाक मज़ाक में मुझे पीछे से आकर पकड़ लिया.
उसने तो मुझे मज़ाक में पकड़ा था, लेकिन ना जाने क्यों उसके स्पर्श से मेरे शरीर में एक करंट दौड़ गया.
अपने दोनों हाथों से उसने मेरी भरी हुई चुचियों को दबा कर मेरे हाथ को पकड़ा हुआ था.
मैंने अपने फ्रेंड से कहा- यार … मुझको तुम इस बेदर्दी से छुड़वा दो ना!
तो वो बोली- तुम दोनों का मैटर तुम ही जानो … मैं तो चली पढ़ने.
इतना बोल कर अब वो अन्दर चली गयी.
अभिषेक मुझसे बोला- अब तो तुम्हारी फ्रेंड भी चली गयी … और अब तुमको मुझसे कौन बचाएगा!
मैंने बोला- मेरी बात तो सुनो.
तो अभिषेक मेरे मुँह के पास अपने कान को लेकर आया और बोला- हां बोलो.
मैंने उसके गाल पर एक किस कर दिया और कहा- अब तो छोड़ोगे.
अभिषेक ने मेरा किस पाकर मेरी चूचियों को दबाया और बोला- ठीक है … इस किस की कीमत पर छोड़ रहा हूँ.
उससे छूटने के बाद मैंने उसे प्यार से देखा, तो वो भी मुझे नजर भर कर देखने लगा.
हम दोनों में एक बार मुस्कान का आदान-प्रदान हुआ और हम दोनों अन्दर चले गए.
अन्दर अपनी अपनी सीट पर बैठ कर हम सब पढ़ने लगे.
आज के चुम्बन के बाद से अब अभिषेक मुझसे भी बहुत खुल गया था … और मैं भी उससे काफी खुल गई थी.
मुझे उसमें अपनी चुत चुदाई का आइटम दिखने लगा था.
अब हमेशा ही हम दोनों एक दूसरे को छूकर या कुछ ना कुछ मज़ाक करने लगे थे.
ये सब वो मेरी सहेली के सामने ही करने लगा था. जिससे उसको कोई दिक्कत नहीं होती थी.
अब इसी तरह धीरे धीरे मैं भी अभिषेक को अन्दर ही अन्दर पसंद करने लगी.
हमेशा उसके बारे में सोच सोच कर मन ही मन मुदित होती रहती.
उसके मज़ाक पर खिलखिला कर हंस देती और उसकी हरकतों से भी आनन्दित होती, जो वो मेरे साथ करता.
कुछ दिनों तक इसी तरह से ये सब चलता रहा.
फिर एक दिन मेरी एक अन्य सहेली की दीदी की शादी थी, जिसमें उसने अभिषेक को भी बुलाया था क्योंकि मेरी सहेली की दीदी भी अभिषेक की फ्रेंड थी.
उस दिन हम दोनों सहेलियां सुबह से ही चली गयी थी.
अभिषेक शाम को साढ़े छह बजे आया.
उधर हम दोनों को तैयार होने के लिए एक कमरा मिला था. वहां आने के बाद मेरी फ्रेंड ने अभिषेक को उसी कमरे में बुला लिया, जहां हम दोनों थे.
जब अभिषेक कमरे में आया, तो कसम से यार क्या मस्त लग रहा था.
उसने ब्लैक जींस और सफेद शर्ट पहनी हुई थी, जिसके आगे के दो बटन खुले हुए थे. उसमें से उसका वो मर्दों वाला सीना साफ़ झलक रहा था.
कसम से … एक पल के लिए तो मैं उसी को देखती रह गयी. उसने भी मुझे देखा और आंख मार दी.
मैंने भी उसे प्यार से देखा और अदा से मुस्कान बिखेर दी.
उस कमरे में आने के बाद से ही वो दोनों चालू हो गए.
अभिषेक ने मेरी सहेली को पकड़ा और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और एक बहुत तगड़ा वाला स्मूच किस करने लगा.
मेरी सहेली भी उससे लग गई और उन दोनों में चूमाचाटी का खेल होने लगा.
मैं भी ये सब देख कर मस्त होने लगी. जल्दी ही वो दोनों बेड पर लेट गए और एक दूसरे के जिस्म से खेलने लगे.
कुछ देर तक मैं भी उन दोनों को ही देखती रही, उसके बाद मैं नहाने चली गयी.
मेरे जाने के कुछ ही देर बाद मेरी फ्रेंड ने बाथरूम का दरवाज़ा खटखटाया और वो बोली- मैं दुल्हन को तैयार करने जा रही हूँ. तुम तैयार हो जाना.
ये कह कर वो चली गयी.
कुछ देर बाद जब मैं नहा चुकी, तो मुझे याद आया कि टॉवल तो बाहर ही रह गई है.
मैंने चुपके से दरवाज़ा खोल कर देखा.
तो अभिषेक बेड पर लेट कर हल्की आवाज़ में पोर्न मूवी चलाकर देख रहा था और अपनी जींस की चैन खोल कर अपना लंड बाहर निकाल कर हिला रहा था.
ये नज़ारा देख कर मेरी तो किस्मत ही खुल गयी.
स्कूल से सब से हैंडसम लड़के का लंड पहले मैं देख रही थी.
मैंने चुपके से दरवाज़ा बन्द किया और अभिषेक को आवाज़ लगाई.
वो बाहर से बोला- क्या हुआ?
तो मैं बोली- तौलिया बाहर है. जरा दे दो.
उसने खुद को सही किया मतलब अपना लंड अन्दर किया और तौलिया लेकर दरवाज़ा खटखटा कर मुझे तौलिया पकड़ा दिया.
अब मेरे सारे कपड़े तो बाहर ही थे, तो मेरे पास जो तौलिया था, मैं उसी को बांध कर बाहर आने की सोचने लगी.
क्योंकि इसके अलावा मेरे पास कोई चारा ही नहीं था. ये तौलिया इतनी छोटी थी कि इसमें मेरे आधे चुचे ढक पा रहे थे और नीचे से तौलिया मेरी गांड तक आ रही थी.
मैं कुछ देर तक तो तौलिया बांध कर सोचती रही.
मुझे अभिषेक का लंड भी बहुत गर्म कर रहा था. मेरा मन तो कर रहा था कि पूरी नंगी ही बाहर जाकर अभिषेक के लंड से चुद जाऊं … पर लाजवश मैं ऐसा नहीं कर पा रही थी.
फिर मैं तौलिया बांधे हुए ही बाहर आ गयी. अभिषेक ने मुझे घूर कर ऊपर से नीचे तक देखा. मैं तौलिया बांधे उसी के सामने अपने बाल झड़ाने लगी और वो लगातार मुझे देख रहा था.
मैं बेड की तरफ आयी और अपने पहनने के कपड़े देखने लगी.
अभिषेक के हाथ उसके सर के नीचे थे, तो मैंने बगल में रखी अपनी पैंटी, ब्लाउज और पेटीकोट लिया और बाथरूम में जाकर उनको पहन लिया.
फिर जब मैं पेटीकोट और सिर्फ ब्लाउज में बाहर आई, तो अभिषेक की मानो जैसे मेरी छाती देख कर आंखें ही फट गयी.
क्योंकि वो ब्लाउज पीछे से एक पट्टी वाला था, जो नीचे से थी.
ऊपर से ब्लाउज बांधने वाली एक डोरी थी.
इस वजह पीछे से मेरी पूरी पीठ खुली थी.
उसी वजह मैं ब्रा भी नहीं पहन सकती थी … और आगे से भी ब्लाउज बिल्कुल फिटिंग का था, जिसमें मेरे निप्पल्स बिल्कुल खड़े साफ़ दिख रहे थे.
मेरी पहाड़ जैसी चुचियों की क्लीवेज भी ब्लाउज के गहरे गले में से काफी ज्यादा झलक रही थी.
मैं सब समझ रही थी कि अभिषेक मेरे सेक्सी बदन को देख कर गर्म हो रहा है.
मगर मुझे भी तो चुत में आग लगी थी, तो मैं भी उसे अपने साथ हॉट करने में लगी थी.
मैं ऐसे ही शीशे के सामने खड़ी होकर मेकअप करने लगी.
मैंने चुपके से देखा, तो अभिषेक पीछे से मेरी नंगी पीठ और कमर को ही ताड़ रहा था.
मुझे साड़ी पहनना था, तो वो अभिषेक के सर के पास रखी थी.
अब इस खेल को खेलने में मुझे मजा आने लगा था. मैं पूरे मूड में थी कि आज अभिषेक के लंड से चुद जाऊं. क्या हुआ, वो सब मैं इस हिंदी चुदाई स्टोरी के अगले भाग में लिखूंगी. आप मेल करना न भूलें.
आपकी रूपा
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