दोस्तों वो मजदूर अपने सख्त और मर्दाने शरीर से मेरी जोरदार चुदाई कर डाला। अब मैं करती तो क्या करती इतना सेक्सी बदन मैंने आज तक नहीं देखा था। क्यों की मैंने अपने घर पर पलस्तर करने वाले मजदूर से चुदाई की इसलिए मैंने इस कहानी का नाम “घर का मजदूर और मेरी गांड” रखा है।
दोस्तों मेरा नाम उर्वशी है और मेरी उम्र 23 साल है। अब इतनी जवान उम्र में मुझे भी हर रात चुदाई ही सूझती थी इसलिए मैं एक बड़ी गलती कर बैठी।
पापा ने घर पर मजदूर बुला रखे थे जो की पलस्तर कर रहे थे। मैं लखनऊ की रहने वाली हूँ और मैं पढ़ाई छोड़ चुकी हूँ।
एक दुभा पापा की तबियत खराब थी। उन्हें तेज बुखार था तो घर की दीवारों पर पानी डालने का काम मैं करने लगी। मम्मी उन्हें लेकर हॉस्पिटल चली गई और मेरा भाई स्कूल जा रहा था।
अब घर पर मुझे मजदूरों के साथ अकेला छोड़ना सही नहीं था इसलिए मेरे पापा ने जल्दी से जल्दी वापस आने की कोशिश की। पर उसी बीच मजदूर के मुझे चोद डाला।
अब क्यों की वो घर के अंदर काम कर रहे थे मैं पास में ही कुर्सी लगा कर उसपर बैठी और उनपर नजर रखने लगी।
मेरे घर 2 मजदूर काम कर रहे थे एक बूढ़े अंकल थे तो सूरा शादी शुदा जवान लड़का था।
वो मुझे बेवजह घूरे जा रहा था। देखते ही देखते मैं समज गई की वो मुझे किस नीयत से देख रहा है। पर पता नहीं क्यों मैं भी उसके बारे मैं गन्दा सोचने लगी।
मजदूर की बॉडी कठोर और मर्दाना था। उसके मजबूत हाथ और गठीला बदन मुझे अंदर ही अंदर गीला कर रहा था।
मैं कुर्सी पर बैठी अपने आप पानी छोड़ने लगी। पता नहीं क्यों मैं उसके साथ सेक्स के सपने देखने लगी। धीरे धीरे मेरा पजामा नीचे से गीला हो गया जिसे उस मजदूर ने देख लिया।
उसे पता लग गया की मैं उसे ही इस तरह से देख कर सेक्सी हो रही हूँ। देखते ही देखते उनका खाने वक्त हो गया और वो बूढ़ा मजदूर बाहर खाना खाने निकल गया पर दूसरा वाला वही रहा।
मैं बैठे बैठे ये सोचने लगी की मुझे आखिर हुआ क्या मैं क्यों इस मजदुर को देख गीली हो रही हूँ।
अब दोस्तों इतने में मजदूर मेरे पास हाथ धोकर आया और मेरा हाथ पकड़ कर मुझे कुर्सी से उठाया और मेरी गर्दन पर चूमने लगा।
अचानक चुत में आनंद का सेहलब बहने लगा।
मैं उसके रोकना चाहती थी पर उसका मर्दाना शरीर छूकर मुझे पता नहीं क्यों सेक्स की भूख लगने लगी।
उसके मुझे होठो चूमना मेरी पकड़ पकड़ी और बेफिक्र होकर मुझ पर अपना हक़ जताने लगा। मैं उसकी जकड़ में ऐसी फांसी की बाहर निकलना मुस्खिल सा लगने लगा।
वो मेरे कोमल शरीर को अपने मजबूत हाथो से दबाने तो कभी सहलाने लगा चुत से पानी की छोटी छोटी बुँदे टपकने लगी।
बस ऐसे मेरी चुत गीली हो गई और मैंने उसके लिंग को बाहर निकाला और अपने बड़े बड़े नाख़ून वाले कोमल हाथो से उसके सख्त लिंग को हिलाने लगी।
मजदूर और मेरी सांसे तेज होने लगी और हम दोनों एक दूसरे की आँखों में देखने लगे।
मैं खुद से पूछे जा रही थी की ये मैं क्या कर रही हूँ पर जैसे जैसे वक्त बीत रहा था खुद को रोकना नामुनकिन सा लगने लग रहा था।
मजदुर तभी मेरे ब्जामे में हाथ डाला और मेरी नरम चुत को रगड़ने लगा। कुछ देर बाद मुझे से खड़ा भी नहीं हुआ जा रहा था तो मैंने जल्दी से अपने पजामी को तारा और कुर्सी पर दोनों घुटनो के बल कड़ी हो गई और पीछे से अपनी गांड बाहर निकाल ली।
मजदूर ने मेरी गीली कच्छी नीचे की और गांड पर अपना मुँह चलाने लगा।
मुझे तो मैं सब भूल कर मजदूर के साथ चुदाई करने लगी।
इसके बाद वो मेरे सामने आया और मैं उसका लिंग मुँह लगी। और वो एक हाथ से मुझे पीछे रगड़ता रहा।
उसका गर्म लिंग काफी सेक्सी था मुझे तो चुदाई का तेज नशा सा हो रहा था।
अब मजदुर ने अपना लंड मेरी चुत में घुसा दिया था। मैं छोटी की कुर्सी पर घोड़ी बनकर बैठी रही और वो मेरे अंदर लंड देता चला गया। मुझे काफी मजा आ रहा था पर मैं करती भी क्या दोस्तों।
मजदुर धीरे धीरे पागल सा होने लगा उसने मेरी कमर जकड़ी और जोर से धाकरे लगा कर मेरी चुत चोदने पर उत्तर आया। इस तरह उन्होंने मेरी खूब गांड मरी और मेरी चुत का पता नहीं क्या बना डाला।
मैं कभी दर्द से चिलाती तो कभी आनंद से हस्ती मुझे पता नहीं क्या हो रहा था।
उसके बाद जब मैं थक गई और मैं कुर्सी से नीचे गिर गई। पर मजदुर ने मुझे प्यार से उठाया और मेरे कमरे में ले गया। अंदर जाते ही उसे मेरा बिस्तर दिखा तो उसने मुझे वहा लेटाया और मेरी जंघे खोल कर मुझे नीचे से चाटने लगा।
उफ़ उफ़ क्या मजा आ रहा था अह्ह्हम्म्म !!
उह्ह्ह ऊह्ह्ह ाफ्फफ्फ्फ़ !!!
फ़क !!
मजदुर – मैडम जी केसा लग रहा है ?
अह्ह्ह !!!
मजदुर – मैडम अपनी बुर स्वाद है !!
अह्ह्ह्ह उफ्फ्फ !!
दोस्तों अब धीरे धीरे मेरा मलाई निकलने लगा तो मजदूर समज गया की अब चुदाई का सही वक्त है।
उसने अपने हथोड़े को पकड़ा और मेरे अंदर घुसा दिया। अंदर घुसा कर वो अपने गंदे और मर्दाना हाथो को मेरे शरीर पर चलाने लगा।
उस दिन काफी मजा सा आया। उसका लिंग मेरे अंदर तबाही मजा रहा था। देखते ही देखते वो पसीने से भर गया और मैं लाल हो गई।
कुछ देर बाद चुदाई करते हुए उसने मेरा पैर पकड़ा और मेरा उंगूठा चूसने लगा। वो अपणु जुबान से मुझे पता नहीं कहा कहा चुम रहा था जो मैं बता भी नहीं सकती।
धीरे धीरे उसने मुझे अपने हाथो से दबाना शुरू कर दिया। उसने मेरे ठन पकड़े और मुझे निचोड़ता हुआ छोड़ने लगा। मेरी पूरी छाती लाला सी हो गई। मैं तक गई परेशां हो गई पर उसकी न सासे फूली और न लंड थका।
कुछ देर बाद उसने मुझे पलटा और मेरे ऊपर चढ़ कर मेरी खुदाई करने लगा।
मैं तो हैरान परेशां हो गई। धीरे धीरे चुत में दर्द होने लगा और मुझे मजा आने लगा। वक्त के साथ साथ ऐसा लग रहा था की उसका और ज्यादा बड़ा होता जा रहा है।
अंदर काफी टाइट और कड़ा लिंग लेकर मुझे लगा की मैंने गलती कर दी। धीरे धीरे चुत मेरे झड़ने लग गई।
मजदुर मेरे ऊपर कूद कूद कर मेरी गांड चुत में लंड दिए जा रहा था और मुझे पीछे से गर्दन पर चुम रहा था।
मेरी गांड तो लाल हुई ही उसके साथ भार से मनो मेरी कमर ही टूट गई हो। मजदुर ने गंदे होठ और बदबू से भरी सासे मुझे काफी अच्छी लग रही थी। उसने अपने होठो से मेरी गर्दन को गीला कर डाला।
पुरे कमरे बस चुत लंड की बू फैली हुई थी और घर में चुदाई की आवाजे गूंज रही थी।
जल्द ही मैं अपनी चरम सीमा के पास आ पहुंची और चुत से पानी निकाल बैठी। उसके बाद तो मजदूर साला पागल ही हो गया। मेरे कोमल और नजर शरीर को ऐसे जकड़ा ऐसे मुझ जैसी लड़की उसे कभी नहीं मिलने वाली।
उसने मुझे जकड़ा और पूरा जोर लगा कर चोदता रहा।
उसके पागल पन से पूरा बिस्तर हिलने लगा और मैं आनंद से तड़प पड़ी।
पर वो रुका नहीं उसका गठीला शरीर काफी हॉट था और मुझे चुदाई का पूरा मजा दे रहा था। मेरी चुत पर सफ़ेद झांग सी उठने लगी वो मुलायम चुत को चोदता रहा।
पूरी चुदाई के दौरान उसका लिंग वैसे का वैसा पथर सा हो रखा था।
इसी तरह चुदाई चलती रही और अंत में उसका निकल गया। उसने अपने हाथो से मेरी बाहो को जोर से पकड़ा और चिलाने लगा।
मजदुर – यहहहह ुह्ह्ह्ह अह्ह्ह्हह !!!
मैं डर गई और सोचने लगी की अब इसे क्या हो गया ?
मजदुर – अहह अह्ह्ह उह्ह्ह्ह साली रंडी !!
उसी पल मुझे अपने अंदर कुछ गर्म गर्म सा महसूस होने लगा और तब मैं समज गई की इसने मेरे अंदर छोड़ दिया।
मैं अचानक उठ खड़ी हुई और नीचे देखा तो मजदूर का गन्दा पानी मेरी चुत से बाहर निकल रहा था।
ये देख मजदूर समज गया की उसने क्या किया है !!
जब लंड बैठा तो वो दिमाग से सोचने लगा और वहा से भाग निकला।
मैं भी डर गई की ये मैंने क्या किया। पर कुछ देर बाद मैंने अपनी सहेली को फ़ोन किया और उसने मुझे बच्चा रोने वाली दवा बता दी।
मैंने जल्दी से कपड़े पहने और बाहर दवा लेने जाने लगी तभी पापा और मम्मी हॉस्पिटल से घर आ गए।
घर आते ही उन्हें चुत लंड की बू आने लगी जो पुरे घर में फैली थी।
बू सूंघते हुए वो मुहे देखने लगे।
अब दोस्तों अपनी Hindi Sex kahani मैं यही खत्म करना चाहती हूँ। आगे जो हुआ अच्छा नहीं हुआ था मेरे साथ। उमेद है आपको मेरी हॉट कहानी पसंद आयी होगी।