दोस्तों, मेरा नाम किरण है मेरी उम्र २५ साल है और मेरी शादी को अभी कुछ ही साल हुए है हर लड़की की तरह मेरे भी बहुत सारे अरमान थे और मैने भी अपने सपनो मे एक मस्त, सुंदर और तगड़े आदमी को अपने पति के रूप मे देखा था | मेरी शादी एक विशाल नाम के लड़के से हुई थी | वैसे तो, विशाल का बदन काफी गठीला और कसा हुआ था और मै विशाल के प्रेमजाल मे फस गयी और मैने उसके साथ एक अच्छे प्रेम-संभंद और एक अच्छी सेक्स लाइफ की कल्पना कर ली थी, लेकिन शादी के बाद मेरा ये भ्रम टूट गया | विशाल का बदन मस्त जरुर था, लेकिन उसका लंड एकदम छोटा था और वो ज्यादा देर तक अपने लंड से अपने वीर्य को निकलने से नहीं रोक पता था | मुझे विशाल के साथ सेक्स मे मज़ा नहीं आता था और सेक्स करने के बाद भी, मै सारी रात बिस्तर पर तड़पती रहती थी | इस कारण से मेरी नज़र घर के सब मर्दों पर ख़राब होने लगी थी, लेकिन मेरी मज़बूरी मुझे आगे नहीं बढने दे रही थी |जब से, मै इस घर मे आयी थी, मैने कई बार एक पागल को अपने घर के पास घूमते हुए देखा था | काफी पूछने पर भी, किसी को नहीं मालूम था, कि वो कौन है? वो पागल हमारे मौहेल्ले मे ही घूमता रहता था और शाम को हमारे घर के बाहर वाले चबूतरे पर सो जाता था | कोई उसको कुछ नहीं बोलता था, तो मुझे लगा, कि वो काफी सालो से हमारे घर के बाहर ही होगा | हमारे घर और और बाहर गेट के बीच मे काफी बड़ा बगीचा था और अगर कोई बगीचे के दूसरी तरफ चला जाये, तो उसे कोई नहीं देख सकता था | एक बार, विशाल कुछ दिनों के लिए बाहर गये हुए थे और घर मे कुछ खास लोग भी नहीं थे | रात को मैने सबको खाना खिला दिया और सब के सोने के बाद, मै बाहर बगीचे मे आकर बैठ गयी | शाम को बारिश ख़त्म हुई थी और थोडा सा ठंडा सा मौसम था | मेरी बैचेनी थोड़ी बड़ी हुई थी और मुझे कुछ सूझ नहीं रहा था, तो कुर्सी पर आकर बैठ गयी | हमारे घर मे सब को जल्दी सोने के आदत थी और मुझे जल्दी नीद नहीं आती थी |रात को विशाल को उस पागल को खाना देने की आदत थी और आज भी वो पागल खाने का इंतज़ार कर रहा था | मैने उसको गेट से अन्दर ले लिया और उसको खाना दे दिया | मैने आज पहले बार उस पागल को ढंग से देखा था | उसका शरीर काफी मजबूत और मस्त था | मै भी उसके बराबर मे बैठ गयी और अपना हाथ उसके लंड की ओर बड़ा दिया और उसकी फटी हुई पेंट मे से उसका लंड बाहर निकाल लिया और खीचने लगी | उसने कोई विरोध नहीं और हंसने लगा | उसका लंड सोया हुआ था, लेकिन मेरे दो-तीन झटको के बाद उसका लंड फूलकर एकदम मस्त मोटा और बड़ा हो गया | मेरा दिल उसके लंड पर आ गया, लेकिन वो बहुत गन्दा था | जब, वो खाना खा चुका, तो मैने उस बाहर के बाथरूम मे जाने को बोला और नहाने को कहा | जब वो नहाकर बाहर आया, तो उसका हुलिया ही बदल चुका था | वो ठीकठाक शकल का इंसान लग रहा था | हम दोनों बगीचे के दुसरी तरफ चले गये और मै उसके गीले शरीर से चिपक गयी | मेरे सारे कपडे गीले हो गये और उसके लंड का कड़ापन, मै अपनी चूत पर महसूस कर सकती थी | मेरी चूत आज पहली बार इतनी जल्दी रिसने लगी थी |मेरी प्यास इतनी ज्यादा बड़ चुकी थी, कि मै ज्यादा देर बरदाश नहीं कर सकती थी और मैने फटाफट अपने कपडे उतार फेके और पूरी नंगी हो गयी और मैने अपने नंगे बदन को पागल के नंगे बदन से चिपटा लिया | उसके बदन से लिपटकर मेरे बदन मे झुरझुरी सी चढ़ गयी और मेरा शरीर हिलने लगा और मै उससे और ज्यादा चिपटने लगी | मेरे चुचे उसकी छाती मे धसे हुए थे और उसका लंड मेरी चूत के दरवाजे पर लगातार टक्कर मार रहा था | मुझे से बिलकुल नहीं रुक जा रहा था और मै अपने घुटने पर बैठ गयी और उसके लंड के सुपाड़े पर चुम्बनों की बौछार कर दी और उसके लंड को अपने मुह मे ले लिया और अपना हाथ से भी पकड़ लिया | अब मेरे हाथ और मुह दोनों उसके लंड पर चल रहे थे और वो मस्ती मे aaaaahhhhh…ऊऊऊऊऊओ….कर रहा था | उसकी कामुक आवाज़े मेरे चूचो और कड़ा कर रही थी | फिर, मैने उस पागल को लेटने का इशारा किया और वो लेट गया और मैने ६९ की मुद्रा करने अपने चुचे उसके होठो पर रख दिये |वो किसी बच्चे की तरह मेरे निप्पलो को चूस रहा था और मस्ती मे अपनी गांड भी हिला रहा था | मेरे चुचे चूसने के साथ-साथ उसने मेरी चूत मे अपनी ऊँगली डाल दी और मेरी चूत की दीवारों को छीलने लगा | मेरी गांड मस्ती मे हिलाने लगी और मैने अपना पानी छोड़ दिया और उसकी पूरी ऊँगली मेरे रस से सन गयी | फिर, उसने मेरे शरीर को थोडा सा नीचे किया और मेरी चूत को चाटना शुरू कर दिया | उसका चाटना इतना मस्त था, कि मै तुरंत गरम होनी शुरू हो गयी और फिर, उसने मुझे अपने नीचे कर दिया और मेरे पैरो की तरफ आ गया | उसने बड़ी ही बेरहमी से मेरे पेरो को खोल दिया और अपना लंड मेरी चूत की घंटी से रगड़ने लगा | मुझे और नहीं रुका जा रहा था और मैने उसको अपनी चूत को चोदने के लिए बोला |उसने अपनी गांड से एक जोरदार धक्का मारा और उसका मोटा लंड पूरा मेरी चूत मे घुसता चला गया | मेरे लंड ने पहले इतना मोटा लंड नहीं लिया था, तो मेरी दर्द के मारे हालत ख़राब थी | लेकिन, पागल रुक ही नहीं रहा था और पुरे जोर से मुझे चोद रहा था | कुछ मिनटों बाद, मै फिर से झड गयी और उसके लंड के अन्दर बाहर होने के साथ-साथ मेरा सारा पानी बाहर आ गया | वो झड़ने वाला था और उसके धक्के तेज हो चुके थे | वो अपना लंड बाहर निकालने लगा, तो मैने उसे मना कर दिया और सारा पानी मेरी चूत मे ही चोदने को कहा | एक गरम तेज पिचकारी के साथ, उसने अपना सारा पानी मेरी चूत मे छोड़ दिया और मुझे लगा, कि किसी ने गरम लावा मेरी चूत मे डाल दिया |उसने अपना लंड बाहर निकल लिया और मेरे होठो पर रख दिया | मैने उसको कुछ भी करने से मना कर दिया, तो वो बात रूम चला गया और कपडे पहनकर चला गया | मैने भी बाथरूम जाकर अपने को साफ किया और सोने चली गयी | उस रात मुझे शादी के बाद पहलीबार मस्त नीद आयी और मैने उससे हर रात चुदने का मन बना लिया |