सेल गर्ल ki कुंवारी चुत चुदाई

यह गर्लफ्रेंड Xxx कहानी एक लड़की की चुदाई की है जो एक दुकान में काम करती थी. उसने कैसे मुझसे दोस्ती की और मैंने कैसे उसे लंड खिलाया?

नमस्कार दोस्तो, मैं आपका दोस्त नीतीश सबसे पहले तो मैं आप सबका आभारी हूँ कि मेरी पिछली सेक्स कहानी
मकान मालकिन की रंडी बनने की चाहत
को आपने पढ़ा और उसे प्यार दिया.

एक बार फिर से एक नई चुलबुली और रसभरी मलाईदार चुदाई की गर्लफ्रेंड Xxx कहानी लेकर हाजिर हूँ.

यह घटना उस समय की है जब मैं अपनी स्नातक की पढ़ाई के दूसरे वर्ष में था.

मैं रांची की एक हाउसिंग कॉलोनी में रहता था. मेरे साथ मेरा एक साथी रहता था, जो अपनी गर्लफ्रेंड के लिए बाजार में स्थित एक गिफ्ट कॉर्नर से गिफ्ट वगैरह लिया करता था.

उस दुकान में एक लड़की बैठती थी, जिसका नाम रिचा था.
रिचा देखने में बड़ी सुंदर माल थी. उसका कद लगभग 5 फुट 6 इंच का था. रिचा की कमर 24 इंच की और उसके स्तन 34 इंच के थे.

मैं कभी कभार अपने दोस्त के साथ उसकी दुकान में चला जाता था. मैं कभी उस लड़की की तरफ गलत नजरों से नहीं देखता था.

एक बार मैं बीमार पड़ गया था जिस कारण मैं घर चला गया था.
लगभग 12 से 15 दिन बाद जब वापस आया तो मेरे दोस्त ने बताया कि वो गिफ्ट दुकान वाली रिचा मेरे बारे में पूछ रही थी.

मुझे यह जानकर बड़ा आश्चर्य हुआ.
उस समय मैं लड़कियों से ना के बराबर ही बात करता था और उनसे दूर ही रहता था.

मैंने अपने दोस्त से उसकी बात सुनकर अनसुना कर दिया.

कुछ दिनों बाद मेरा रूम पार्टनर मुझे लेकर उसी दुकान पर गया. उसे अपनी गर्लफ्रेंड के लिए कुछ खरीददारी करनी थी.

सामान देखने के क्रम में वो मुझसे मेरी राय पूछ रहा था और मैं ‘हां, हूँ, ठीक है ..’ में जवाब दे रहा था.

उधर वो दुकान वाली मैडम यानि रिचा मुझे बड़े गौर से देख रही थी, जिसका अहसास मुझे भी हो रहा था.

उस दिन जब मैं वापस अपने रूम में आया तो मेरा साथी मुझे छेड़ते हुए बोला- क्या बात है यार, आजकल बाजार में तेरी डिमांड बहुत बढ़ रही है.
मैंने अनजान बनते हुए उससे पूछा- मतलब?

तब वह बोला- वो रिचा तुमको लाइन मार रही थी. मुझे लगता है कि वो तुझे पसंद करने लगी है.
मैं- नहीं यार, वहम है तुम्हारा.
इतना बोल कर मैंने उसकी बात को फिर से नजरअंदाज कर दिया.

लेकिन उस दिन के बाद से जब भी मैं उसकी दुकान पर गया, चोरी चारी उस लड़की को देखने लगा.
अब मैं थोड़ा बहुत उससे बात भी करने लगा था.

उस समय मोबाइल सबके हाथों में नहीं हुआ करता था. चिट्ठी का जमाना था.

एक दिन मैंने बहुत हिम्मत करके उसके नाम एक लव लैटर लिखा और अपने रूम पार्टनर को देकर बोला- यार, इस लैटर को उसे दे देना … और अगर वो पूछे कि ये क्या है, तो बोल देना तुम्हें नहीं पता है. नीतीश ने आपको देने के लिए दिया है. जब वह आए तब उसी से पूछ लीजिएगा.

मेरे दोस्त ने रिचा को वो पत्र दे दिया.

उस दिन के बाद से मेरी हिम्मत ही नहीं हुई कि मैं उसके दुकान पर जाऊं. उधर रिचा मेरे दोस्त से मेरे बारे में पूछती रहती थी.

एक शाम मेरा दोस्त मुझे अपने साथ जबरदस्ती अपनी कसम देकर बाजार लेकर चला गया.
मैं अन्दर से बहुत डरा हुआ था कि पता नहीं वो क्या करेगी, क्या बोलेगी.

सब्जी वगैरह खरीदने के बाद मेरा दोस्त मुझे लेकर उसकी दुकान पर ले गया.

लेकिन संयोग से उस समय दुकान पर रिचा नहीं थी बल्कि उसकी बड़ी दीदी बैठी हुई थी.
अन्दर ही अन्दर मैंने राहत की सांस लिया.

मेरा साथी कुछ सामान निकलवा कर देखने लगा. साथ ही साथ एक चूड़ी का डब्बा निकाल कर रिचा की दीदी को देते हुए बोला- दीदी, इस चूड़ी को वापस करके पिंक कलर की चूड़ी दे दीजिएगा.
रिचा की दीदी ने पलट कर पूछा- ये आपने किससे और कब ली थी?

ठीक उसी वक्त रिचा की आवाज आई- दीदी, ये मेरे से लिए थे और बोले थे कि अगर कलर पसंद नहीं आया तो रिटर्न करके दूसरा ले लेंगे.

उसकी आवाज सुनकर मेरे दिल की धड़कन अचानक बढ़ गई और मैंने अपने दोस्त को एक चिकोटी काट ली.

उसी वक्त मेरी हालत और खराब हो गई जब उसकी दीदी रिचा से बोली- अच्छा हुआ तुम आ गईं. मुझे एक काम से बैंक जाना है.

उसके बाद उसने रिचा को कुछ समझाया और वह वहां से निकल गई.

अब मेरा तो बहुत बुरा हाल हो रहा था. मैं पसीने से पूरा भीग गया था.

अब रिचा ने मेरे दोस्त से पूछा- क्या सामान लेना है.
दोस्त ने उसे बताया कि मेरे सामान की लिस्ट ये हैं.

कुछ देर के बाद दोस्त के द्वारा बताया गया सारा सामान रिचा निकालकर ले आई और उसे दे दिया.

इसके बाद रिचा मेरी तरफ मुड़कर बोली- जी, आपका क्या नाम है?
मैं अकचकाकर धीरे से बोला- नीतीश.

रिचा ने मुझे डराते हुए दूसरा सवाल मुझसे किया- हां तो नीतीश जी बोलिए, आप यहां पढ़ाई करने आए हैं या लड़कियों को चिट्ठी देने?
मैं धीरे से बोला- आया तो हूँ पढ़ाई करने … लेकिन तुम मुझे पसंद आ गई थी इसलिए वो लैटर दिया था.

इस पर वह बोली- मतलब आपको जो भी पसंद आएगी … उसे आप चिट्ठी दे देंगे. ऐसा होता है क्या?
मैं हिचकिचाते हुए बोला- सॉरी … मुझसे गलती हो गई. मुझे माफ कर देना.

इतना बोल कर मैं वहां से निकलकर कुछ दूर जाकर अपने दोस्त का इंतजार करने लगा.

कुछ देर बाद मेरा दोस्त आया और मुझे देखकर जोर जोर से हंसने लगा.
मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था.

मैंने उसी उधेड़बुन में उसे एक चपत लगाते हुए कहा- क्या हुआ … पागल की तरह क्यों हंस रहे हो? कमरे पर चलो वहीं बात करते हैं.

मेरी बात से मेरा दोस्त चुप तो हो गया पर वो साला अन्दर ही अन्दर मुस्कुरा रहा था.

रूम पर पहुंच कर वो मुझे डराते हुए बोला- यार वो बहुत गुस्सा हो रही थी.
मैं कुछ नहीं बोला.

फिर रात का खाना बना कर मैं बाहर टहलने निकल गया.
लगभग रात के नौ बजे वापस आकर हम दोनों ने साथ बैठकर खाना खाया.

उसके बाद जब मैं अपने बिस्तर पर गया; तब वह मुझे मुड़ा हुआ पेपर देते हुए बोला- लो बे, तेरी आइटम ने दिया है और वो बोली है कि उससे मिलकर इस चिट्ठी का जवाब सामने से देना. कानूनी नोटिस की तरह फिर से चिट्ठी न लिख देना.

मैं दोस्त की बात सुनकर अवाक रह गया.

खैर … मैंने जब उस चिट्ठी को खोला, तो उसमें रिचा ने मेरे प्रति अपने प्यार का इजहार किया था. मुझे रिचा का जबाव पढ़ कर बहुत ख़ुशी हुई.

मैं दूसरे दिन रिचा के सामने गया और उसे देख कर मुस्कुराने लगा.
वो भी मुस्कुरा दी और उसने अपनी नजरें शर्म से नीचे कर लीं.
उसने मेरा प्यार कबूल कर लिया था.

उस दिन के बाद से मैं और रिचा अलग अलग जगहों पर मिलने लगे.

लगभग एक महीने बाद उसका जन्मदिन आया और उसने मुझे बताया कि वो मेरे हॉस्टल वाले ही रूम में अपना जन्मदिन मनाना चाहती है.

मैंने अपने दोस्त को यह बात बताई, तो वह ख़ुशी ख़ुशी बोला- अच्छा है.

उसके बाद मैंने उसके जन्मदिन के लिए केक का ऑर्डर दे दिया और एक बढ़िया सा गिफ्ट भी पैक करवा लिया.

मेरा मन मस्ती में झूम रहा था और बार बार अपने ख्यालों में मैं रिचा के रसीले होंठों को चूम रहा था.

ये तो आप लोगों को पता ही होगा कि पहला प्यार और जवानी का क्या नशा होता है. मेरे साथ भी वही हाल था.

खैर, वो दिन आ गया. मैंने और मेरे दोस्त ने मिलकर अपने रूम को अच्छे से सजाया. हम दोनों ने मिलकर कुछ नाश्ता वगैरह भी बना लिया था.

अब हम दोनों रिचा का इंतजार करने लगे.

लगभग 11 बजे वो मेरे रूम पर आई. उसके बाद हम सभी ने रिचा के जन्मदिन को सेलिब्रेट किया.

केक वगैरह कटने के बाद हम सभी ने मिलकर खाना खाया. उसके बाद मैं अपने दोस्त को बाहर जाने के लिए इशारा किया.

वो बिना देरी किए रूम से निकल गया.

उसके निकलने के बाद मैं दरवाजा बंद करके बेड के पास पहुंचा.

रिचा मुझे देखते ही बोली- मेरा गिफ्ट?
मैं अकचका कर बोला- यार गिफ्ट अभी तो दिया था!

रिचा – वो नहीं, मुझे आज स्पेशल गिफ्ट चाहिए.
मेरे मुँह से तुरंत निकल गया- अपनी आंखें बंद करो.

जैसे ही रिचा ने अपनी आंखें बंद की, मैंने उसके गोरे गालों को अपनी हथेलियों के बीच लेकर उसके शहद भरे होंठों पर अपने जलते हुए होंठ रख दिए और चूसना शुरू कर दिया.

उसने जरा भी प्रतिकार नहीं किया और वो भी मुझे चूमने लगी.

धीरे-धीरे उसने मेरे होंठों को काटना शुरू कर दिया.
मैं भी अपने दोनों हाथों से उसकी पतली कमर को पकड़ कर उसे चूम रहा था.

चूमते चूमते रिचा ने अचानक से मुझे बिस्तर पर धकेल दिया और मेरे ऊपर चढ़ गई.

उसने मेरा एक हाथ अपने एक स्तन पर रखते हुए कहा- ये तुम्हारे लिए हैं … इन्हें मसलो ना … इन्हें खा जाओ नीतीश.

बस इतना बोलते बोलते रिचा ने अपनी शर्ट उतार दी.
उसके गोरे जिस्म को देखकर मेरा लंड अचानक फड़फड़ा उठा. उसके दूध एकदम से टाइट, बड़े और कच्चे मालदा आम थे.

चूंकि रिचा मेरे लंड पर ही बैठी हुई थी, इसलिए उसे जैसे ही लंड फूलने का अहसास हुआ, वो अपनी गांड को मेरे खड़े लंड पर रगड़ने लगी. हौले हौले उसके मुँह से सिसकारी भी निकल रही थी.

मैं- रिचा, तुम बहुत ही सेक्सी हो यार. तुम्हारे स्तन बड़े ही रसभरे हैं.

ये बोलकर मैंने उसके स्तनों के बीच अपने होंठ रख दिए. मेरे होंठों का उसके मांसल उभारों पर रखना, उसके जिस्म में आग लगा गया.

वह जोर से सिसकार उठी- आह … उफ्फ.

उसने मेरी गर्दन को पकड़ कर मेरे मुँह को अपने दोनों मम्मों के बीच खींच लिया और मेरे मुँह को दबाने लगी.

मैं भी जोश में आ गया और उसके एक स्तन को उसकी ब्रा के ऊपर से ही अपने मुँह में दबोचकर उस पर अपने दांत गड़ा दिए.

उसके एक स्तन को चबाते हुए मैंने पीछे हाथ किए और उसकी ब्रा के हुक को खोल दिया. ब्रा को उसकी छातियों से अलग कर दिया.

पहले तो मैं उसके दोनों उभारों को जी भरके देखने लगा. फिर धीरे धीरे अपने हाथों से उसके गोरे स्तनों को सहलाने लगा.

इससे रिचा एक अलग दुनिया में डूबने लगी थी. उसके होंठों से गर्म सिसकारियां निकल रही थीं.

अब हम दोनों की सांसें गर्म हो गई थीं. मेरा लंड तनकर रॉड बन चुका था.

रिचा भी खुलकर पूरी मस्ती में अपनी गांड मेरे लंड से रगड़ रही थी और मैं भी अपना लंड उसके चूतड़ों की दरार पर रगड़ रहा था.

मेरी शर्ट को खोलकर रिचा ने मेरे जिस्म से अलग कर दिया और मेरे सीने पर अपने होंठों से चूमने लगी.
हम दोनों एक दूसरे को बेतहाशा चूमे जा रहे थे.

थोड़ी देर बाद वो खड़ी हुई और उसने अपनी स्कर्ट उतार कर एक तरफ फैंक दी.
वो अब मेरे सामने सिर्फ एक पैंटी में थी.
उसका दूध सा उजला गोरा जिस्म चमक सा उठा.

इतनी कातिल जवानी को सिर्फ एक पैंटी में देख कर मेरे होंठ सूखने लगे थे.
मैं अपने होंठों पर जीभ फेरने लगा.

इस पर रिचा ने आंख दबाते हुए अपने एक स्तन को हिलाया और कहा- क्या हुआ?
मैं रिचा से बोला- प्यास लगी है. मैं पानी पी कर आता हूँ.

मेरे इतना बोलते ही वो मेरे नजदीक आई और बोली- इधर आओ, मेरे रहते हुए पानी की क्या जरूरत है मेरे प्यारे नीतीश. मेरे इस रसभरे जिस्म से अपनी प्यास बुझा लो न.

यह बोलकर रिचा ने मेरे लंड को मेरे पैंट के ऊपर से पकड़ लिया और उसे मसलने लगी.
उसका हाथ मेरे लंड पर लगना था कि मैंने अपना एक हाथ उसकी पैंटी में डाल दिया और उसकी चुत को स्पर्श कर लिया.

आह … क्या चिकनी चुत थी साली की.

पहले मैं उसकी चुत को धीरे से सहलाने लगा. रिचा की कुंवारी चुत को सहलाते सहलाते मैंने अपना पैंट निकालकर एक तरफ फैंक दिया.
मेरी चड्डी में मेरा लंड टाइट होकर अकड़ गया था.

रिचा मेरे खड़े लंड को देखते हुए झट से अपने घुटनों पर बैठी और उसने मेरी चड्डी भी नीचे खींच कर उतार दी.

मेरे तने हुए लंड को देखकर उसका चेहरा चमक उठा. वो मेरे लंड पर झुकती चली गई और उसने मेरे लंड को अपने मुँह में ले लिया.
पहले तो उसने मेरे लौड़े के सुपारे पर अपनी जीभ फेरी.

उसकी गर्म जीभ का स्पर्श पाते ही मेरे लंड ने एक झटका मारा. रिचा ने एक शिकारिन की तरह लंड को अपने मुँह में भर लिया और वो उसे अन्दर लेकर चूसने लगी.

मेरा लंड फड़ाफड़ाने लगा.
रिचा ने लंड को बाहर निकलने ही नहीं दिया. उसने मेरे लौड़े को जी भरके चूसा.

उसके बाद उसने अपनी जीभ से मेरे लंड के सुपारे को चाटना शुरू कर दिया.
मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं जन्नत की सैर कर रहा हूँ.
मेरी आंखें बंद हो गई थीं और मेरे मुँह से कामुक सिसकारियां निकल रही थीं.

जब मेरी बर्दाश्त से बाहर होने लगा, तो मैं भी उसके बाल पकड़कर उसके मुँह की चुदाई करने लगा.
गले के अंतिम छोर तक लंड घुसेड़ कर मैंने रिचा का मुँह चोदना चालू कर दिया था.
इससे रिचा के मुँह से गुं-गुं की आवाज आ रही थी लेकिन वो किसी पेशेवर चुदक्कड़ की तरह मेरे लंड को अपने मुँह में गपागप ले रही थी.

लगभग दस से बारह मिनट की मुँह चुदाई के बाद मेरा लंड अपना वीर्य छोड़ने वाला था.
मैं उससे बोला- रिचा, मेरा निकलने वाला है.

उसने बिना एक शब्द बोले मेरे लंड को और जोर से पकड़ कर चूसना शुरू कर दिया.
वो हाथ से इशारा कर रही थी कि मैं अपने लंड का सारा वीर्य उसके मुँह में गिरा दूं.

थोड़ी ही देर में मैंने एक तेज झटके के साथ उसके मुँह में अपना सारा वीर्य खाली कर दिया.
रिचा पूरे मजे लेते हुए मेरे लंडरस को अमृत समझकर गटक गई.
उसके बाद उसने अपनी जीभ से चाट चाट कर मेरे लंड को पूरी तरह से साफ कर दिया.

लंड चटाई के बाद वह बिस्तर पर निढाल होकर लेट गई और मुझे अपने ऊपर खींचते हुए बोली- आई लव यू नीतीश.
मैंने भी उसे ‘आई लव यू ..’ बोला और उसके होंठों को एक बार फिर चूसना शुरू कर दिया.

यूं ही चूसते चूमते मेरा एक हाथ उसके आमों से खेल रहा था, तो दूसरे हाथ से उसकी मखमली मलाईदार चुत को सहला रहा था.

कुछ समय पश्चात मेरा लंड फिर से रॉड की तरह अपने उफान पर आ गया.
मैं उसको चूमते हुए उसके उभारों को चूसते चबाते हुए उसकी चुत पर जैसे ही अपने होंठों को रखा, रिचा जल बिन मछली की तरह तड़प उठी.

मैंने अपनी जीभ उसकी चुत की फांक के अन्दर डाल कर चूसना शुरू कर दिया.
रिचा ‘आह … आह … उफ्फ … स्स्स् … आई लव यू … आहहह्.’ कहने लगी थी. वो अपने हाथों से अपने आमों को मसल भी रही थी.

कुछ देर बाद वो अपनी जांघों के बीच मेरे चेहरे को दबाते हुए बोली- अब बर्दाश्त नहीं हो रहा यार. अपनी रिचा को अपने लंड से चोदकर अपना बना लो नीतीश. फाड़ दो यार मेरी चुत को … मैं बहुत तड़पी हूँ तुम्हारे लंड के लिए.

मैंने बिना एक पल की देरी किए उसे चुदाई की पोजीशन में लिया और अपने लंड का सुपारा उसकी चुत की फांक में सैट कर दिया.
इसके बाद एक पल की भी देर न करते हुए मैंने एक जोरदार झटका दे दिया.

इधर मेरा लंड उसकी चिकनी चुत के अन्दर गया, उधर रिचा जोर से सिसकार उठी- ऊइ मां … मर गई मैं … आह्ह् … निकालो इसे … बहुत दर्द हो रहा है … प्लीज निकालो ना.

मैं रुक गया और बोला- जान पहली बार चुद रही हो ना … इसलिए दर्द होगा. लेकिन मजा भी आएगा रिचा.

यह बोलकर मैं उसके एक चुचे को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा.
उसे चैन मिलने लगा.

धीरे धीरे वो फिर से गर्म होना शुरू हो गई. वो अपनी कमर हौले हौले ऊपर नीचे करने लगी.

मेरा लंड चूंकि उसकी चुत में आधा घुसा हुआ था तो मैंने भी रिचा का साथ देना शुरू किया.
रिचा पूरी ताकत से अपनी चुतड़ को ऊपर नीचे करने लगी थी यानि उसकी चुत मेरे लंड को खाने के लिए एकदम से तैयार थी.

मैं उसे छोड़कर खड़ा हो गया और रिचा को कमर से खींचते हुए उसे बिस्तर के किनारे ले आया.

रिचा की कमर से ऊपर का हिस्सा बिस्तर पर था और कमर से नीचे का हिस्सा बिस्तर के नीचे था.
उसकी टांगों को फैलाकर मैंने फिर से अपने लंड को उसकी चुत पर रखा और धीरे से एक शॉट लगा दिया.

मेरा लंड उसकी चिकनी चुत की दीवारों को चीरते हुए अन्दर धंसता चला गया.
रिचा एक बार फिर से सिसकार उठी.

लेकिन इस बार वो मेरा साथ देने के मूड में थी. इसलिए उसने मेरी कमर को पकड़ लिया और बोली- मजा आ रहा है यार … बहुत लाजवाब है तुम्हारा लंड … आह.
अब वह अपनी गांड को ऊपर नीचे कर रही थी.

इसी तरह यह चुदाई 6 से 8 मिनट चली होगी.

तभी रिचा के मुँह से निकला – मैं झड़ने वाली हूँ यार.
मैंने बिना एक शब्द बोले, उसकी पतली कमर को जोर से पकड़ा और घपा घप करते हुए अपनी चुदाई की स्पीड बढ़ा दी.

बस 15 से 20 सेकेण्ड के बाद हम दोनों एक साथ झड़ने को हो गए.

मैं अपना लंड उसकी चुत से निकालने जा रहा था कि वो बोली- अपने लंड का पानी अन्दर ही गिरा दो. मैं अपने लव की पहली चुदाई का रस यूं ही बर्बाद नहीं होने दूंगी.

मैंने भी चार तेज धक्के मार कर उसकी चुत के अन्दर ही अपने लंड का पानी छोड़ दिया.
उसके बाद हम दोनों एक दूसरे से लिपट गए और चूमने लगे.

थोड़ी देर बाद हम दोनों ने अपने अपने कपड़े पहने. रिचा ने दुबारा मिलने का वादा करके मुझे एक चुम्बन दिया और मेरे रूम से चली गई.

उसके बाद से 2 से 3 साल तक हम दोनों ने अलग अलग जगहों पर मिलकर चुदाई का आनन्द लिया.
अब उसकी शादी हो गई है … और वो अपने पति के साथ दिल्ली में रहती है.

मेरे चुदक्कड़ साथियो, आपको मेरी गर्लफ्रेंड Xxx कहानी कैसी लगी … अपनी राय से मुझे अवगत कराएं.
आपकी राय के इंतजार में आपका अपना नीतीश
kumar.nitish05@gmail.com

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