बंगाली हॉट सेक्स स्टोरी में पढ़ें कि आखिर बंगालन भाभी की चूत में मेरा लंड घुसने का वक्त आ गया. वो भी चुदाई की प्यासी थी और मैं उसकी गुलाबी चूत को चोदने के लिए बेसब्र था.
कैसे हो दोस्तो, मैं राज अपनी कहानी का अंतिम भाग आपको बताने जा रहा हूं. बंगाली हॉट सेक्स स्टोरी के इससे पहले वाले भाग
बंगालन भाभी को फ्लैट दिला कर चोदा- 3
में आपको मैंने बताया था कि दीपिका के हस्बैंड की नाइट शिफ्ट लगने के पहले दिन ही वो मेरे साथ बालकनी में आ बैठी और ड्रिंक करने लगी.
उस दिन वो बहक गयी और हम दोनों एक दूसरे को गर्म करने लगे. मैंने उसे चूमा चाटी में ही दो बार स्खलित करवा दिया. जब उसने मेरे लंड को देखा तो वो खुशी से चहक उठी. मेरे 8 इंची मोटे तगड़े लंड को पाकर वो खुद को रोक नहीं पा रही थी.
उसने मेरे लंड को मुंह में लेकर चूसा और फिर उससे चुदने के लिए बुरी तरह से तड़पने लगी और मुझे खुद ही अपने ऊपर खींचने लगी. मैं उसकी चूत के गुलाबी छेद को चूस कर उसको और ज्यादा तड़पने पर मजबूर कर रहा था.
अब आगे की बंगाली हॉट सेक्स स्टोरी:
मैंने दीपिका को लौड़े के लिए तड़पते हुए देखा और फिर पीछे हट कर उसके सुन्दर घुटनों को मोड़ा और चूत के अन्दर लण्ड डालने की पोजीशन ली. दीपिका ने लेटे लेटे ड्रिंक का गिलास उठाया और उसमें से दो बड़े घूँट मार लिए और बोली- डालो अंदर, फाड़ दो मेरी चूत को आज मेरे राज.
लण्ड और चूत न जाने कब से अपने को प्री-कम से गीला किये जा रहे थे. मैंने जैसे ही लण्ड का सुपारा चूत के छेद पर लगाया, दीपिका ने अपनी आंखें बंद कर लीं और नीचे का होंठ दाँतों से दबा लिया.
मैंने लण्ड को चूत पर दबाना शुरू किया और सुपाड़ा चूत की दीवारों को फैलाता हुआ अंदर घुसने लगा. दीपिका के मुँह से- आ … आ… की आवाज निकलती रही और मैंने धीरे धीरे आधे से ज्यादा लण्ड चूत में उतार दिया.
जब आधे से ज्यादा लण्ड अंदर जा चुका तो दीपिका ने मेरी छाती पर अपना एक हाथ रख लिया. मैं दीपिका के ऊपर छा गया और अपनी दोनों कोहनियों को उसके दाएं बाएं रखकर उसे अपनी बाजुओं में जकड़ा और उसके होंठों पर अपने होंठ रखकर एक झटके में पूरा लण्ड उसकी टाइट चूत में उतार दिया.
दीपिका एकदम से चिहुंक गई और कसमसाने लगी. मैंने लण्ड को थोड़ा ऊपर खींचा और पूरे जोश के साथ लण्ड को चूत में फिर ठोक दिया. दीपिका ने जोर से- आआआ … आहा … आआई … मां … की और थोड़ा ऊपर उठ कर मुझे चूम लिया.
मैंने उसी पोजीशन में ड्रिंक का एक सिप लिया तो दीपिका ने उसे भी पिलाने का इशारा किया. मैंने दीपिका के लेटे लेटे गिलास उसके मुँह से लगाया तो उसने सारा एक ही बार में खाली कर दिया और बोली- चोदो जोर जोर से … फाड़ दो मेरी चूत को.
गिलास रखकर अब मैंने ज़ोर ज़ोर से चूत में शॉट लगाने शुरू किए और दीपिका के गालों, होंठों और मम्मों को खाने लगा.
दीपिका भी मुझे हर तरह से नोंच खसोट रही थी. कमरा हमारी चुदाई की खच … खच … की आवाजों से भर गया.
मैंने दीपिका के घुटनों को थोड़ा और मोड़ा और लण्ड को जोर से मारा तो लण्ड अंदर बच्चेदानी को जा लगा और दीपिका जोर से मजे में चिल्लाई- हाय … माँ, मार दिया जालिम ने.
तेजी से मेरा लंड उसकी चूत को फाड़ रहा था. मैंने चोदते चोदते दीपिका के घुटनों के नीचे से अपने हाथ डाले और उसकी टाँगों को अपने कंधों पर रख लिया. उसकी उभरी हुई गुदाज जाँघें और पकौड़ा सी चूत बिल्कुल मेरे लण्ड की टक्कर में आ गई.
अब मैंने उसके टाइट छेद को फाड़ना शुरू किया. मेरे हर शॉट में उसकी चूत की फांकें अंदर की तरफ मुड़ जा रही थीं और लण्ड को बाहर की तरफ निकालते हुए चूत का छल्ला बाहर की तरफ आ रहा था.
दीपिका ज़ोर जोर से आवाजें निकाले जा रही थी और शराब के सुरूर में अपना सिर इधर उधर पटकती जा रही थी. मैं लगातार उसकी दोनों चूचियों और उनके नर्म गुलाबी निप्पलों को अपने हाथों से मसले जा रहा था.
हम दोनों ही अपने चर्मोत्कर्ष की ओर बढ़ रहे थे. लगभग 15-20 जबरदस्त शाट्स के बाद दीपिका का शरीर इकट्ठा होने लगा और उसने आ … आ … आ … करके मुझे जोर से जकड़ कर अपनी ओर खींच लिया और झड़ गई.
उसकी चूत ने अपना रस बहा दिया और ठीक उसी समय मेरे लण्ड ने भी अपने गर्म वीर्य की पिचकारियों से दीपिका की चूत को गहराईयों तक भर दिया. मेरा लौड़ा उसकी गर्म चूत के अंदर झटके मार मार कर वीर्य की पिचकारी छोड़ रहा था जिसे दीपिका अपने अंदर तक महसूस कर रही थी.
मेरा लण्ड जैसे ही पिचकारी छोड़ता दीपिका वैसे वैसे मुझे अपनी छाती से जकड़ लेती थी. वीर्य की आखिरी बून्द तक दीपिका ने चुदाई का आंनद लिया और अंत में मैं उसकी चूचियों और पेट के ऊपर पसर गया.
वासना का तूफान एक बार के लिए अब थम गया था. दीपिका के चेहरे पर पूर्ण संतुष्टि के भाव थे. उसने घड़ी की ओर देखा और बोली 10.00 बजने वाले हैं, घोष का फोन आने वाला है, आप चुप रहना.
दो मिनट बाद ही फोन की घंटी बजी और दीपिका ने घोष को बोला कि मैं थक गई थी इसलिए सो रही थी, बॉय.
घोष ने पूछा- राज आ गए या नहीं?
दीपिका- मुझे क्या पता, लाइट तो जल रही थी.
घोष- कोई बात नहीं है, मैं तो इसलिए पूछ रहा था कि नई जगह है कभी अकेले में डर लगे?
दीपिका- ओके, डोन्ट वरी, गुड नाईट.
फोन बंद करने के बाद दीपिका ने मुझे झप्पी डाली और बोली- मेरे दिल के राजा मेरे साथ हैं, अब काहे का डर?
दीपिका उठी और बोली- अब हम सुबह 7 बजे तक फ्री हैं, मैं खाना लाती हूँ.
दीपिका ने एक बहुत ही सेक्सी, छोटी सी, ट्रांसपेरेंट नाइटी पहन ली. नाइटी इतनी छोटी थी कि उसकी आधी गांड ही ढकी थी और आगे से थोड़ी चूत भी दिखाई दे रही थी.
कुछ ही देर में वो खाना ले आई. हमने एक ही प्लेट में खाना खाया.
तभी दीपिका का फोन बजा, उस पर संजना लिखा था. दीपिका ने फोन उठाया और स्पीकर ऑन करके बोली- हाँ संजना, कैसी हो?
संजना- तुम बताओ, सब सेटिंग हो गई?
दीपिका- हाँ, सब हो गई.
संजना- और तुम्हारे राज साहब कैसे हैं?
दीपिका- ठीक ही होंगे, क्यों … तुम्हें पसन्द आ गए क्या?
संजना- यार, उनसे हमारी सिफारिश कर दो, हमें भी वो सामने वाला फ्लैट दिला दें.
दीपिका- तुम आकर खुद ही बात कर लो न?
संजना- तुम राज जी से बात तो करो, तुम्हारे लिए तो वे अपना कमरा भी खुला छोड़ गए थे, हाय, ऐसा पड़ोसी मुझे भी दिला दो यार.
दीपिका- आ जाना और खुद ही बात कर लेना और जब तक फ्लैट न दिलवाएं उनके रूम में ही जमी रहना. सब कुछ ले लेना, हा हा हा! अच्छा यार अब नींद आ रही है, सुबह फोन करती हूँ, ओके बॉय.
मेरे पूछने पर दीपिका ने बताया कि संजना और वो कॉलेज की सहेलियां हैं और अब शादी के बाद दोनों इस शहर में अपने पतियों की जॉब के कारण यहाँ आ गईं, दोनों के हस्बैंड एक ही ऑफिस में हैं.
मैंने दीपिका से पूछा- तुम संजना को लेकर मेरे बेडरूम में बैठी थी?
दीपिका- राज, दरअसल, आप और आपके रूम में से मुझे एक मर्दानेपन की खुशबू आती है, बहुत ही सेक्सी गंध है, आपकी बॉडी स्मेल बहुत ही सेक्सी है, इसलिये जब आप टूर पर गए थे तो मैंने आपकी अलमारी खोली थी. उसमें आपके कपड़ों को सूँघा तो मैं मदहोश हो गई थी और जब भी मुझे मौका मिला तो मैं आपके बेड पर लेट जाती थी और मेरे अन्दर सेक्स जाग जाता था. संजना भी बोल रही थी कि तुम्हारे रूम में बहुत प्यारी मर्दों वाली गंध आ रही है.
मैंने पूछा- घोष बाबू में से कैसी गंध आती है?
दीपिका- सुबह आपके पास भेज दूंगी, सूंघ लेना. बड़ी बेकार स्मैल आती है, और ऐसा ही संजना का हस्बैंड बनर्जी है.
उसकी बात पर मैं हँस पड़ा और मैंने अपने आप को सूंघने की कोशिश की तो दीपिका ने अपना मुँह और नाक मेरी बालों से भरी छाती में लगा दिया और बोली- दिल करता है बस तुम्हारे यहाँ अपना मुँह रखे रहूँ.
दीपिका- राज, आपके रूम में चलें, मुझे वहां और भी अच्छा लगेगा?
मैंने कहा- ठीक है, आओ.
दीपिका- आप चलो, मैं ये बर्तन किचन में रखकर आती हूँ.
मैं अपने कपड़े उठा कर पिछली बालकॉनी से अपने रूम में आ गया.
चूंकि मेरे साथ दीपिका की यह पहली चुदाई थी तो मैं चाहता था कि वह यादगार चुदाई हो इसलिए मैंने कमरे में आकर एक कामवर्धक गोली खा ली.
कुछ देर बाद दीपिका उस छोटी सी नाइटी में मेरे रूम में आ गई. मैंने खड़े हो कर उसे बांहों में भर लिया और खड़े खड़े उसके कान के निचले हिस्से को झुमके समेत अपने होंठों में दबा लिया. दीपिका सिहर उठी और बोली- कितना अच्छी तरह से प्यार करते हो आप … राज … आह्ह! काश आप मुझे पति के रूप में मिल जाते.
मैंने दीपिका को उल्टा घुमाया और अपना खड़ा लण्ड उसके चूतड़ों में फिट करके सामने से उसके दोंनों मम्मों को पकड़ लिया और जोर जोर से मसलने लगा.
दीपिका आ..आ..आ.. करती रही.
मैंने अपने एक हाथ से दीपिका के पेट का निचला हिस्सा सहलाना शुरू किया तो दीपिका बोली- आह्ह … स्सस … आई … फिर … चुदवाने का दिल कर रहा है.
लोअर में मेरा लंड कामवर्धक गोली के असर से लोहे की रॉड बन चुका था. दीपिका नीचे बैठ कर मेरा लंड मुँह में लेकर चूसने लगी. वह मेरे लंड से ऐसे खेल रही थी जैसे बच्चा अपने मन पसंद खिलौने से खेलता है. जोर जोर से चूसने से मेरा लंड उसके थूक से लिबड़ गया. मैं उसके मम्मों को दबाता रहा.
वह पूरी तरह उत्तेजित हो गई थी. वह उठी और मुँह मेरी तरफ करके अपनी टाँगें चौड़ी करके मेरे लंड को चूत पर रगड़ने लग गई. मैंने खड़े खड़े ही लंड को उसकी चुदासी चूत में डाल दिया. अचानक उसने मुझे धक्का देकर बेड पर गिरा दिया और मेरे ऊपर चढ़कर मेरे लण्ड को फिर से अंदर ले लिया.
इस पोजीशन में मेरा पूरा लंड उसकी चूत में फंस गया और उसने मजे से मेरी गर्दन को अपने हाथों से जकड़ लिया. उसकी चूचियाँ मेरी छाती से रगड़ने लगीं. वह धीरे धीरे ऊपर नीचे होकर लंड की सवारी करती रही और चूत के दाने को मेरे लंड पर रगड़ती रही.
करीब 10 मिनट के इस खेल में वह झड़ गई और मुझसे चिपक गई. मैंने उसे उसकी टांगों के नीचे से हाथ डाल कर उठाया और लंड चूत में डाले डाले खड़ा हो गया. वह मेरे लंड के ऊपर लटक गई.
मैंने अपने दोनों हाथों से उसके चूतड़ों को पकड़ा और जोर जोर से उन्हें आगे पीछे करके अपने लंड पर मारने लगा. लंड उसकी चूत में सीधा अंदर तक जाकर लग रहा था. उसकी दोनों टांगें मेरे हाथों में झूल रही थी. कुछ देर में वह फिर झड़ गई और टाँगें नीचे लटका दी.
अब मैंने उसे छोड़ दिया और कुर्सी पर बैठ गया. वह नीचे झुक कर अपनी चूत का हाल देख रही थी. बोली- आज तो दुखने लगी है और नीली भी हो गई है.
मैंने जब पूछा- तुम्हारे हस्बैंड के आने का कोई चांस तो नहीं?
तो उसने कहा- आप उसकी चिंता छोड़ दो, वो अपनी सीट नहीं छोड़ सकता.
दीपिका कहने लगी- वैसे तो मेरी चूत दुःख रही है परंतु आपका साथ मुझे अच्छा लगा. शायद मैं आपसे प्यार करने लगी हूँ.
मैंने उसे घोड़ी बना लिया. उसकी गांड एकदम गोरी और चिकनी थी. घोड़ी बनते ही उसकी प्यारी सी चूत उसके चूतड़ों और पिछले पटों के बीच में दिखाई देने लगी.
मैंने नीचे खड़े हो कर उसकी चूत को दो उँगलियों से अलग किया और उसकी टांगों को थोड़ा चौड़ा करके लंड अंदर घुसाया.
उसने कहा- धीरे धीरे अंदर डालो, बहुत टाइट लग रहा है.
फिर मैंने प्यार से उसके चूतड़ों को पकड़ कर पूरा लंड अंदर डाल दिया. उसने अपने चूतड़ों को थोड़ा आगे पीछे किया और जब लंड उसके मुताबिक चूत में बैठ गया तो बोली- अब करो.
मैंने धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू किये.
उसने कहा- लंड पहले से भी बहुत सख्त लग रहा है, लगता है कि चूत की सिलाई उधेड़ देगा.
उसे नहीं पता था कि मैंने कामवर्धक गोली खा रखी है और मेरा लंड दो घण्टे तक नहीं बैठेगा.
मैंने उसे चोदना चालू रखा, उसने स्पीड बढ़ाने के लिए कहा और बोली- थोड़ा जोर से करो, अब मजा आ रहा है.
उसके कहने पर मैंने जोर जोर से धक्के लगाने शुरू किये. उसकी जांघों को पकड़ कर, पूरा लौड़ा बाहर निकाल निकाल कर जोर जोर से चोदने लगा. मेरा कमरा बेड के चरमराने और लण्ड की चूतड़ों पर थाप की आवाजों से गूंजने लगा.
कुछ ही शॉट्स के बाद लगा कि वह फिर झड़ गई. मैंने उसे नहीं छोड़ा. उसने अपनी छाती और मुँह बेड पर टिका दिये और चुदते हुए तरह तरह की आवाजें करने लगी- आह … आह … उम्म्ह … आह … मार दिया जालिम … फाड़ दी मेरी चूत … एक ही दिन में सारी जिंदगी की कसर निकाल दी. असली सुहागरात तो आज मनी है मेरी … आह्हह मेरे राज… मैं तो तेरी दीवानी हो गयी रे!
अंत में वह फिर झड़ गई और बेड पर पसर गई परंतु मेरा तो अभी भी छूटने का नाम नहीं ले रहा था. उसे आराम देने के लिए मैं उसके साथ लेट गया और उसे जगह जगह प्यार से चूमने लगा.
उसने मुझे कहा- जिंदगी में पहली बार इतना प्यार पाया है और सेक्स में ऐसा आनंद आया है. सेक्स में इतना सुख मिल सकता है मुझे तो इसका अन्दाजा ही नहीं था. घोष के साथ तो मेरी जिन्दगी बर्बाद ही हो जाती।
कुछ देर बाद मैंने उसे फिर से अपने ऊपर आने को कहा. मैं बेड पर सीधा लेट गया और वह मेरे ऊपर अपनी टाँगें चौड़ी करके आ गई. उसने मेरा मोटा लौड़ा अपनी चूत में रखा और नीचे बैठने लगी. बैठते ही पूरा का पूरा लंड उसकी चूत में धंस गया. उसने एक लंबी सांस ली और लंड पर आराम से बैठ गई.
मैंने उसकी दोनों चूचियों को पकड़ा और हाथों से जोर जोर से मसलने लगा. मैंने उसे नीचे झुकाकर चूचियों को मुँह में लिया और चूसने लगा तो वह लंड को अंदर बाहर करने लगी. उसने अपने दोनों नाजुक हाथ मेरी छाती पर रख लिए और लंड को उछल उछल कर अंदर बाहर करने लगी.
15-20 बार उछलने के बाद उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया और वह मेरे ऊपर पसर कर सोने लगी और मेरी छाती पर लेट सी गई. मेरा लंड अभी भी उसकी चूत में ही घुसा हुआ था.
कुछ देर के लिए हम दोनों ऐसे ही लेटे रहे. फिर वह मेरी छाती से उतर कर साइड में आ गई. मैंने उसकी एक टांग को उठाया और साइड में लेटे लेटे लंड को चूत के अंदर घुसा कर उसे अपनी जफ्फी में ले लिया. वह कसमसाने लगी. मैंने उसकी एक टांग को ऊपर किया और लंड से उसकी चूत को चोदता रहा.
वह बोली- मैंने आपके लिए बादाम का दूध बनाया था, मैं तो भूल गई थी! एक बार छोड़ो!
वह उठ कर नंगी किचन में गई और एक बड़ा गिलास बादाम का दूध लाकर मुझे दिया.
रात के 12.00 बज चुके थे. दूध पीकर मुझे फिर जोश आ गया और मैंने दीपिका को फिर से बेड पर लिटा लिया और उसकी टांगों के बीच में बैठ कर टांगों को घुटनों तक मोड़ कर, लंड अंदर पेल दिया.
दीपिका पूछने लगी- आपका कितनी देर में छूटता है? अब मैं थक गई हूँ, चूत और शरीर बुरी तरह दुःख रहे हैं, चूत तो देखो, एक दिन में ही गुलाबी से नीली हो गई है.
उसकी बात का जवाब न देकर मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और लगभग 15-20 मिनट की पलंग तोड़ चुदाई करके आखिर कार अपने लंड से वीर्य की पिचकारियाँ मार मार कर उसकी चूत को भर दिया.
कुछ देर मैं लंड डाले हुए उसकी चूचियों पर पड़ा रहा. उसके सारे शरीर पर मेरे चूसने और काटने के नीले निशान पड़ गए थे. वह पूर्ण रूप से संतुष्ट हो चुकी थी.
हमने उस रात 3 बजे तक रुक रुक कर चुदाई की. मैं चार बार झड़ा और दीपिका का तो पता ही नहीं वह कितनी बार झड़ी. उसकी चूत हर 10-15 मिनट बाद पानी छोड़ देती थी.
चूत और लण्ड के डिस्चार्ज होने से मेरे बेड की चादर जगह जगह से गीली हो गई थी. 3 बजे के बाद हम दोनों ही एक दूसरे की बांहों में न जाने कब सो गए. सुबह 8 बजे मेरी आँख खुली तो मैं बिल्कुल नंगा अपने बेड पर पड़ा था और दीपिका अपने बेडरूम में जा चुकी थी.
जब घोष की रात की ड्यूटी होती थी तो 15 दिन तक हर रोज रात को मैं दिल लगाकर दीपिका को चोदता था और जब उसके पति की दिन की ड्यूटी होती थी तो मेरी शनिवार और इतवार की छुट्टी होती थी, जबकि शनिवार और इतवार को घोष की ड्यूटी होती थी.
उन दो दिनों में दीपिका दिन में ही मेरे कमरे में आ जाती थी. कई बार तो जब मैं सोया हुआ होता था तो मेरे साथ आकर लेट जाती थी और लोअर में से मेरा लण्ड निकाल कर हाथ से सहलाने लग जाती या चूसने लग जाती थी.
जिंदगी का असली मज़ा लेने के लिए दीपिका और मैंने अभी बच्चा न करने का प्लान बना रखा था इसलिए दीपिका आईपिल खा लेती थी. दीपिका के खुश रहने से उसका हस्बैंड घोष बाबू भी बहुत खुश रहता था.
दीपिका के कहने पर मैंने संजना और बनर्जी को साथ वाला फ्लैट दिलवा दिया और उन्होंने शिफ्ट कर लिया था. चूँकि हमारे सामने के गेट अलग थे इसलिए कोई यह अंदाजा नहीं लगा सकता था कि पिछली बालकॉनी में जन्नत के दो दरवाजे खुले रहते थे.
मगर दीपिका की सहेली संजना को हम दोनों पर सौ प्रतिशत शक था और वह हमेशा मुझे देखकर मुस्करा कर लाइन देती रहती थी.
दोस्तो, ये थी मेरी बंगाली हॉट सेक्स स्टोरी. आपको मेरी यह स्टोरी कैसी लगी मुझे जरूर बताइयेगा. मुझे आप सभी पाठकों की प्रतिक्रियाओं का बेसब्री से इंतजार रहेगा.
आपके बहुमूल्य कमेंट्स के जरिये ही मुझे पता लगेगा कि मेरी मेहनत कहां तक कामयाब हो पाई है इसलिए मेरी बंगाली हॉट सेक्स स्टोरी पर आप अपना फीडबैक देना जरूर याद रखें. धन्यवाद।
जल्द ही फिर से लौटूंगा.