दोस्तो, ये सेक्स कहानी मेरी एक दोस्त प्रियंका की है.
मैं इस सेक्स कहानी को खुद प्रियंका की जुबानी ही आपके सामने पेश करना चाहूंगा.
हाय … मैं प्रियंका, मेरी चुदाई Xxx कहानी अपने ऑफिस में सेक्स की लिख रही हूँ.
दो साल पहले मैंने अपनी पहली जॉब ज्वाइन की थी.
जल्दी ही वहां सब लोग मेरे अच्छे दोस्त बन गए थे.
उनमें से एक था रवि!
हम दोनों का एक दूसरे से साथ कुछ ज्यादा ही लगाव बढ़ गया था.
वो रोज मुझे लेने और छोड़ने आता, हम साथ खाना खाते.
इस सबसे ये हुआ कि जल्दी ही ऑफिस में सब हमको कपल कह कर छेड़ने लगे.
मुझे जॉब करते हुए 6 महीने हो गए थे.
वो अगस्त का महीना था, रोज ही बारिश जोरों पर आने लगी थी.
ऐसे ही एक बारिश के दिन मैं सुबह 9 भीगते हुए रवि के साथ ऑफिस पहुंची.
वहां जाकर देखा, तो चपरासी ने ऑफिस खोल दिया था … पर कोई और आया नहीं था.
रवि ने सर को फ़ोन करके पता किया तो मालूम हुआ कि बारिश रुकने पर ही सब लोग आ पाएंगे.
चपरासी भी अपना काम करके किसी काम से घर चला गया.
अब वहां सिर्फ मैं और रवि ही रह गए थे.
मैं- यार, ये बारिश आज कुछ ज्यादा ही हो रही है.
रवि- अच्छा तो है ना … आज हम दोनों को अकेले मिलने का मौका मिल गया.
तभी तेज बिजली कड़की और मैं डर के मारे रवि के सीने से लग गयी.
रवि ने भी मुझे अपनी बांहों में लेकर कस लिया.
आज पहली बार मैं रवि की बांहों में थी.
बारिश में भीगे हुए दोनों के ठंडे बदन, बांहों में आते ही गर्माने लगे थे.
हम दोनों एक दूसरे के भीगे बदन को सहलाने लगे.
कुछ पल की गर्माहट के बाद हम दोनों ने एक दूसरे की आंखों में देखा.
फिर एक दूसरे की टकराती सांसों को और करीब से महसूस करते हुए हमारे होंठ गुत्थम गुत्था होने लगे.
भीगे बदन हम दोनों एक दूसरे को बेतहाशा चूमने लगे.
न जाने ये कौन सी प्यास थी जो हमारे होंठ बुझाना चाह रहे थे लेकिन हर चुम्बन के साथ वो प्यास बढ़ती जा रही थी.
होंठों को चूमते हुए हम दोनों एक दूसरे के गाल और गर्दन को भी चूमने लगे.
मुझे चूमते हुए रवि ने एक हाथ से मेरी कमर पकड़ रखी थी तो दूसरे हाथ से वो मेरे चूतड़ों को दबाने मसलने लगा.
रवि का लिंग मुझे मेरी योनि के पास महसूस होने लगा था.
मैंने उस दिन प्लाजो और शर्ट पहना था.
मेरी गर्दन को चूमते हुए रवि मेरी शर्ट के बटन खोलने लगा.
ऊपर के दो बटन खोल कर रवि ब्रा के ऊपर से मेरे मम्मों को मसलने लगा.
मैं- उफ़्फ़ … उम्म!
उसने एक एक कर मेरे सारे बटन खोल दिए और मेरी शर्ट उतार दी.
अब मैं रवि की शर्ट के बटन खोलने लगी.
हर बटन को खोलने के साथ ही मैं उसके सीने को चूमती जाती.
रवि की शर्ट और पैंट मैंने दोनों खोल दिए थे.
अब वो बस अपने अंडरवियर में मेरे सामने खड़ा था.
रवि मेरे पीछे आ गया और मेरे मम्मों को पकड़ कर जोर जोर से दबाने लगा और मेरी पीठ को चूमने लगा.
तभी रवि के हाथ धीरे से मेरे प्लाजो के हुक पर आ गए.
हुक खुलते ही प्लाजो जमीन पर गिर पड़ा.
रवि ने मुझे एक मेज पर लिटाया और ब्रा के ऊपर से ही मम्मों को मुँह में लेकर चूसने लगा.
मैंने भी रवि को अपनी तरफ खींचा और उसकी गर्दन व सीने को चूमने लगी.
अब रवि ने अपने दोनों हाथ मेरी पीठ पर ले जाकर ब्रा का हुक खोल दिया और अपने दांतों से पकड़ कर ब्रा को हटा दिया.
मेरे 32 इंच के बूब्स सामने आते ही रवि बेसब्री से उन पर टूट पड़ा.
एक एक करके मेरे दोनों बूब्स को रवि बड़ी बेताबी से चूसने सहलाने लगा.
मेरे मम्मों को चूसते हुए जब वो अपने होंठों में लेकर मेरे निप्पल को चूसने लगा … तो मैं तो जैसे हवा में उड़ने लगी.
मुझे एक अजीब सा नशा होने लगा.
वो मेरे एक बूब को अपने मुँह में लेकर चूसता तो दूसरे को हाथ से मसलने लगता.
काफी देर तक वो ऐसा करता रहा.
बूब्स को चूसते चूमते हुए रवि धीरे धीरे नीचे जाने लगा.
अब वो मेरे पेट और नाभि को चूमते हुए मेरी योनि के पास आ गया.
उसने अपनी उंगलियां मेरी पैंटी में डाल कर धीरे से उसे नीचे सरका दी.
सच बताऊं तो अब मुझे अपने बदन पर वो पैंटी भी भारी लगने लगी थी.
अगले ही पल मैं अपने रवि के सामने एकदम नंगी थी, तभी रवि ने भी अपनी चड्डी भी उतार दी.
हम एक बार फिर कसके एक दूसरे की बांहों में आ गए.
मैं- आह जान … आई लव यू.
रवि- आई लव यू टू जान. जब से तुम्हें देखा है, बस तुम्हारे ही ख्यालों में रहता हूँ. तुम्हें प्यार करने चूमने की जो तम्मना थी … आज पूरी हुई.
मैं- अच्छा जी … बस प्यार की और चूमने की … अब सारे कपड़े उतार कर बस यही करना था?
रवि- नहीं मेरी जान … अब तो बारी है सबसे बड़ी ख्वाहिश पूरी करने की. अपने लंड के नीचे ले कर तुझे चोदने की.
मैं- अच्छा और ये सब मन में कबसे चल रहा था?
रवि- जब से तुम ऑफिस में आई. तभी से तुम्हारे बूब्स को चूसने, तुम्हारी गांड को मसलने और चूत में अपना लंड डाल कर तुम्हें चोदने को तड़प रहा हूँ.
मैं- फिर अब इंतज़ार कैसा. मेरी चूत भी अब तुम्हारा लंड लेने को तड़प रही है. चलो अब हम दोनों अपनी तड़प मिटा लेते हैं.
अब मैं और रवि एक दूसरे को बेतहाशा चूमते हुए एक दूसरे के नंगे बदन को सहलाते हुए प्यार करने लगे.
रवि ने मुझे अपने केबिन में ले जाकर अपनी मेज पर लिटा दिया.
मैं अभी अपने प्रेमी के लंड को अपनी चूत में लेने के लिए तैयार थी.
मगर रवि की आंखों में एक शरारत थी.
उसने मेरी टांगों को खोला और मेरी टांगों के बीच में मेरी चिकनी चूत पर अपना मुँह लगा दिया.
ये मेरे लिए अप्रत्याशित था.
मैं उसे रोकने के लिए उसके बाल पकड़ लिए और उसका सर अपनी चुत से हटाने की चेष्टा करने लगी.
मगर रवि मानो वहशी हो गया था.
उसने जबरन मेरी चूत में अपनी जीभ रगड़ दी.
मुझे एकदम से से सिहरन सी हो गई.
मैंने अपनी तरफ से भरसक कोशिश की कि मैं रवि को अपनी चुत से हटा सकूँ मगर मैं असफल हो गई.
उसकी जीभ ने मेरी चूत की फांकों को तीन चार बार ऊपर से नीचे तक चाटा तो मेरी टांगें खुलने लगीं और रवि ने भी मुझे ढीला छोड़ दिया.
अगले कुछ ही पलों में रवि ने मेरी चुत को पूरी मस्ती से चाटना शुरू कर दिया था.
वो अपने होंठों से मेरी चूत के दाने को खींचने लगा और मेरी चूत को तड़फाने लगा.
अगले कुछ पल बाद मैं एकदम से अकड़ उठी और मेरा रस छूट गया.
रवि अभी भी मेरी चूत के रस को चाटता हुआ मेरी चूत पर लगा हुआ था.
पूरा रस चाट लेने के बाद भी रवि मेरी चूत को चाटता रहा.
इससे मैं कुछ ही पलों में फिर से गर्मा गई.
रवि के चेहरे पर कामवासना का शैतान दिख रहा था और उसकी आंखों में एक विजयी मुस्कान थी.
मैं भी चुदासी नजरों से रवि को देख रही थी.
मुझे उसके लंड को चूसने का दिल कर रहा था मगर फिलहाल मेरी चूत में चींटियां रेंग रही थीं.
मैं जल्द से जल्द चुदना चाह रही थी- रवि मेरे हमदम … अब आ जाओ.
रवि ने लंड हिलाया और मेरी टांगों के बीच में आ गया और उसने अपना लंड मेरी चूत पर रख कर रगड़ने सहलाने लगा.
मैं- ऊऊ उफ़्फ़ …
रवि- मेरी जान … तैयार हो जाओ.
मैं- हां आह हहहह.
अभी तक मैं और रवि एक दूसरे को चूम रहे थे. मेरी चूत को रवि के लंड का सुपारा चूमने लगा था.
रवि धीरे से अपना लंड मेरी चूत में डालने लगा.
मैंने रवि के कंधों को कसके पकड़ लिया और अपने टांगें रवि की कमर पर लपेट दीं.
मैं- अअह हहहह बाबू … लव यू.
जैसे जैसे रवि का लंड मेरी चूत की गहराई में जाने लगा, मेरे चेहरे पर दर्द की लकीरें दिखने लगीं, आखिर पहली बार कोई लंड मेरी चूत की गहराई को नाप रहा था.
आधा लंड चूत में जाने के बाद मेरी टांगें चूत में हो रहे दर्द से कांपने लगीं.
तभी रवि ने मेरे होंठों को अपने अपने होंठों में कैद कर लिया और वो मेरे होंठों को चूमने लगा.
मेरे बदन को रवि ने अच्छे अपने आगोश में लिया और धीरे धीरे अपना पूरा लंड चूत में उतार दिया.
मेरे चेहरे पर दर्द साफ दिख रहा था- जान बहुत दर्द हो रहा है.
रवि- तो क्या अब यहीं रुक जाएं, हमारा मिलन क्या यहीं अधूरा छोड़ दूँ?
मैं- नहीं मेरी जान … अधूरा कुछ नहीं छोड़ना आज. आज हमारे दो जिस्म एक हो रहे हैं … तो पूरी तरह होने दो.
थोड़ी देर बाद जब मेरा दर्द कम हुआ, तो रवि अपना लंड अन्दर बाहर करते हुए मुझको पूरी ताकत से चोदने लगा.
मैं भी अब अपनी गांड उठा कर रवि की ताल में ताल मिला रही थी.
रवि ने मुझको उठा कर अपनी तरफ खींच लिया.
अब मैं और रवि एक दूसरे की बांहों में कसे हुए थे, नीचे से मेरी चुत रवि के लंड से चुद रही थी.
रवि कसके जोर जोर से मेरी चुत को चोदने लगा था.
मुझे चुदाई में Xxx मजा आ रहा था- आआ आहह हहह मेरी जान …उफ़्फ़ ऊऊम्म हहह.
रवि- प्रियंका जानू, आज तेरी चुत को चोद चोद कर पूरा खोल दूंगा … आह आह मेरी जान … क्या कसी हुई चुत है तेरी.
मैं- आह आह आ … जानू उफ़्फ़ आहह आहह … कितना मस्त चोद रहे हो … आंह और तेज करो.
करीब 15 मिनट तक चली इस चुदाई में रवि ने मेरी चूत में अपने लंड से अपना नाम लिख दिया.
मैं और रवि अपने चरम पर पहुंचने के बहुत करीब आ गए थे.
रवि- जान, मेरा पानी निकलने वाला है.
मैं- जानू मेरी चुत में ही अपना पानी डालो. मैं महसूस करना चाहती हूँ.
रवि अपने लंड से मेरी चुत में ताबड़तोड़ झटके दिए जा रहा था.
उसके लंड के हर वार के साथ मैं अपनी गांड हिला कर उसका साथ दे रही थी.
नीचे उसका लंड मेरी चुत को बजा रहा था, ऊपर हमारे होंठ घमासान कर रहे थे.
मेरी टांगें रवि की कमर पर लिपटी हुई थीं.
अब हम दोनों अपने चरम पर आ गए थे; एक दूसरे के बदन को हमने कसके जकड़ लिया था.
फिर एकदम से मैं जैसे आसमान में उड़ने लगी.
रवि ने अपना स्पर्म मेरी चुत में छोड़ दिया था.
हम दोनों एक लम्बी दौड़ के बाद अपनी सांसें काबू में करने लगे.
तभी मेरी नजर बाहर गई तो बारिश बंद हो चुकी थी.
मैंने रवि को अपने ऊपर से हटने का इशारा किया और हम दोनों ने अपने कपड़े पहन लिए.
उस चुदाई के बाद जब भी मौका मिलता, रवि मुझे चूमने का मौका नहीं छोड़ता.
उसके बाद कई बार होटल में भी हमने चुदाई की.
आपको मेरी Xxx चुदाई की कहानी कैसी लगी. प्लीज़ मेल करें.
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