पड़ोसी ka लंड लेने ki छीना झपटी

Xx हॉट लेडी की अन्तर्वासना का एक नमूना देखें इस कहानी में. एक भाभी को चुदाई बहुत पसंद थी, वह मायके गयी तो वहाँ के एक पड़ोसी से धकापेल चूत गांड मरवा आई.

मुझे कहानी लिखने मैं काफी समय लग जाता है क्योंकि मैं एक घरेलू महिला हूँ.

मुझे बेशक लंड बहुत पसंद है, पर जिनका पसंद आता है, उन्हीं का लेती हूँ.

मेरी पिछली कहानी बाद मुझे उम्मीद नहीं थी कि मेरी नई कहानी का किरदार एवं मेरी चूत को एक नया लंड इतनी जल्दी ही मिल जाएगा.

मैं Xx हॉट लेडी की अन्तर्वासना की कहानी शुरू करूं, इससे पहले आपसे निवेदन है कि अन्तर्वासना पर उपलब्ध मेरी पिछली सभी कहानियों को जरूर पढ़ें जिससे आप मुझे बेहतर जान पाएंगे.

ये बात अभी की ही है.

मेरे मायके वाले नई जगह रहने गए थे और मैं भी वहां एक महीना पहले रह कर आई थी.
इस बार गई तो 8 दिन रहना था.

पहले 2 दिन सब पड़ोसियों से मिली.
मेरी गली खत्म होते ही एक घर है, जिनसे हमारी अच्छी बनती है.

उनके घर में नीतिका दीदी, उनके पति एवम् उनका लड़का रहता था.
लड़का अभी इंजीनियरिंग कर रहा था.
उनकी बेटी की शादी हो गई थी, वह लड़के से बड़ी थी.

आजकल उन दीदी के घर में ऊपर वाले पोर्शन में किराए पर एक फैमिली रहती थी.
उनसे भी मेरी अच्छी बनती थी.

पहले मैं उन नीतिका दीदी की बात पूरी कर लेती हूँ.
नीतिका दीदी के लड़के का नाम समर था.
वह थोड़ा सांवला जरूर था, पर काफी हैंडसम था और मस्कुलर था.

उसे देख कर कई बार तो मेरा मन इतना ज्यादा मचल जाता था कि बस चूत खोल कर उसके लौड़े के नीचे लेट ही जाऊं.

नीतिका दीदी की उम्र लगभग 42 तक की रही होगी, पर वे काफी जवान लगती हैं.
हालांकि वे मुझसे ज्यादा बड़ी नहीं लगती हैं.

उनके घर में जो किरायेदार रहते थे, उनका नाम प्रकाश था और उनकी पत्नी का नाम जया था.
वे दोनों काम करते थे.

जया भाभी अभी पेट से थीं.
तो सारा काम प्रकाश ही करता था और दीदी भी उनकी काफी मदद कर देती थीं.

जया की ड्यूटी नर्स की थी तो वह सुबह से शाम तक के लिए अपनी डिस्पेंसरी में जाती थी.
उस वक्त घर में नीतिका दीदी और प्रकाश भैया ही होते थे.

मैं अपनी जवानी को आग देने अक्सर अमर के कमरे में सीधे ही चली जाती थी.
उसे कई बार मैं छूती भी थी, पर उसने कभी भी मेरी इस हरकत का फायदा नहीं उठाया.

मैं उसे अपनी हसीन वादियां भी कई बार दिखा चुकी हूँ.
उसके साथ कई बार बाहर बाइक पर जाते टाइम चिपक कर भी बैठी हूँ.
पर उसके अन्दर मुझे कभी भी मेरे यौवन का भोग लगाने की चाह नहीं दिखी.

अब मुझे लगने लगा था कि ये पक्का गे है.

एक दिन दोपहर में मेरी चूत में बड़ी भयानक आग लगी पड़ी थी.
मैंने सोच लिया था कि आज तो मैं समर की उत्तेजना जगा कर ही रहूंगी.

मैंने एक नेट की साड़ी निकाली, पहनी और सीधी उसके घर की तरफ चल दी.
घर का गेट बंद था.

मैंने कोशिश की तो खुल गया.
क्योंकि उनके गेट की कुंडी खराब थी और मुझे मालूम था कि किस तरह से उसे खोला जा सकता था.

मैं उसके कमरे में गई तो दरवाजा बंद था.
मुझे लगा कि आज आंटी भी घर में नहीं हैं, जबकि वे रोज तो होती थीं.

मुझे ऊपर से प्रकाश के बोलने की आवाज आई तो मुझे लगा कि जरूर समर ऊपर है.

मैं ऊपर गई तो नीतिका दीदी खाना बना रही थीं और प्रकाश उनके पीछे खड़ा था.

उन्होंने मुझे देखा नहीं, मैं निराश होकर नीचे आ गयी.

शाम को नीतिका दीदी ने मुझे बुलाया और मुझसे कहा- आज तुमने जो भी देखा, प्लीज किसी को मत बताना.
मैं समझ नहीं पाई कि क्या हुआ है.

इतने मैं प्रकाश भी आया और बोला- प्लीज़ आप यह बात भूल जाना … मेरा तो कुछ नहीं, पर नीतिका जी की बड़ी बदनामी होगी.
तब मुझे सारा माजरा समझ आ गया.

मैंने मुँह बनाया तो वह बोला- आप जो बोलोगी, मैं वह कर दूँगा. आप बस ये बात किसी को भी मत बताना.

तब मैंने नीतिका दीदी की तरफ देखा, तो उन्होंने सर नीचे कर लिया.

मैं कुछ नहीं बोली.

प्रकाश ने कहा- मुझे 5 महीने से सेक्स नहीं मिला … और ये मुझसे बड़ी हैं, पर इनका फिगर इतना ज्यादा मेंटेन है कि मैं फिसल गया.

नीतिका दीदी बोलीं- मैंने भी एक बार गलती से इसे जया को चोदते देख लिया था और इसकी रफ्तार और स्टेमिना देख कर मेरी जवानी जाग गई थी.

चुदाई की बात सुनकर मेरे बदन में झनझनाहट दौड़ गई.
मुझे तो मजबूत लंड चाहिए था. क्या फर्क पड़ता था कि लंड किसका है.

समर का लंड हो या प्रकाश का … प्यास तो दोनों से एक सी ही बुझेगी.

अब मैं यह बात नीतिका दीदी के सामने कैसे बोलती कि मुझे अपने यार का लंड दिला दो.

मैंने कहा- ठीक है, मैं कुछ सोचती हूँ.
यह कह कर मैं घर चली गई.

मेरा वक्त बहुत मुश्किल से कट रहा था.
मेरी चड्डी तब से 4 बार गीली हो चुकी थी.
मैं बेकाबू हुई जा रही थी.

मैंने अपने आप से कहा कि बस अब तो प्रकाश ही मेरी गांड मारेगा.
मैं फटाफट मैक्सी पहने हुई ही उनके घर गई.
उस वक्त नीतिका दीदी सो गई थीं.

मैं चुपचाप प्रकाश के कमरे में गई.
मैंने दरवाजा बंद किया और उस पर कूद पड़ी.

उसने मुझे समेटते हुए कहा- मुझे तभी लग गया था कि तुमको भी चाहिए है. फालतू में कड़क बन रही थी.

इतना बोल कर वह भी मुझ पर टूट पड़ा.
उसने मेरे बूब्स दबाने शुरू किए.
मैंने भी पैंट के ऊपर से उसके लंड को सहलाना शुरू कर दिया.

मैं चाहती थी कि लंड बाहर आ जाए.
उसने मेरी कामना को समझ लिया था.
तुरंत मुझे नीचे बिठाया और कहा- बाहर निकालो.

मैंने जल्दी से हुक खोला और अंडरवियर निकाल कर उसके लौड़े को आजाद कर दिया.
प्रकाश का लंड काफी अच्छा था.

मैंने हल्के हल्के हाथों से उसे सहलाना शुरू किया और वह गर्म हो गया.
उसने मुझसे कहा कि तेरी चूत का आज मैं पूरा बाजा बजा दूंगा.

मैं मन ही मन हंस पड़ी, पर मुँह से कुछ नहीं कहा. मैं खुद चूत का भोसड़ा बनवाने आई थी.

फिर उसने मेरा सर जोर से पकड़ा और खुद के लंड पर दे मारा.
उसका लंड मेरे चेहरे पर छप गया.

वह बोला- चल ना रंडी चूस, भैन की लवड़ी … क्या खेल रही है. मुँह में घुसा ना जल्दी से!
मैंने उसकी तरफ घूरा और लपक कर उसके लंड को अपने मुँह में ले लिया.

अब मेरा पूरा थूक उसके लंड को गीला कर चुका था. मेरी लार गिर रही थी.

उसने मेरे दूध को मसलते हुए कहा- क्या री छमिया … लंड पहली बार देखा है क्या … साली गले तक ले न!
मैंने कुछ नहीं बोला.

उसने मेरे बाल पकड़े और गप करके पूरा लंड मेरी गर्दन में उतार दिया.
मुझे बहुत तकलीफ हुई. मैंने उसकी जांघों पर हाथ मारा, पर वह नहीं रुका.

उसने तेज तेज धक्कों से मेरा गला फाड़ दिया.
मैं सांस भी नहीं ले पा रही थी.

मैंने जोर लगाया और लंड को मुँह से बाहर निकाला.
तब मैंने हांफते हुए कहा- इतना उतावला क्यों हो रहे हो, थोड़ा धीरे करो.

उसने मुझे उठाया और मेरी मैक्सी निकाल दी.
मैंने अन्दर ब्रा नहीं पहनी थी तो मेरे सुडौल बूब्स देख कर वह बोला- आह … क्या मस्त गोरे गोरे आम है री तेरे तो!

उसने मेरे दोनों दूध दबाए और मेरी पैंटी निकाल दी.
झटके से उसने मेरी चूत पर हाथ घुमाया, तो मेरी सांसें तेज होने लगीं और धड़कनें बढ़ने लगीं.

उसने मुझे वापस धकेला और लंड पर मेरे मुँह को ले गया.
मैंने लपक लपक कर लंड चूसना शुरू कर दिया और जोर जोर आवाजें आने लगीं.

अब मैंने भी पूरे आनन्द के साथ उसका लंड चूसना शुरू कर दिया, गोटे भी सहलाने लगी.

थोड़ी देर में ही प्रकाश ने अपने लंड से बहुत तेज धार मार दी.
आधी धार मेरे चेहरे पर और आधी मेरे मम्मों पर गिर गई.

वह काफी देर तक धीरे धीरे धार निकालता रहा था.

उसने कहा- चल साली रंडी … पी जा कुतिया ये सब!
मैं बोली- सुन बे भोसड़ी के … ये सब मुझे पसंद नहीं है.

वह सकपका गया.

उसके माल से मेरे हाथ भी खराब हो गए थे.
मैंने उसके लंड को साफ किया और हाथ मुँह धोकर आई.

उसने मुझसे कहा- आंटी (नीतिका) को चोदता हूँ, उसने भी साली ने कभी लंड मुँह में नहीं लिया. तूने आज लिया, तो काफी हल्का लग रहा है.

मैंने कहा- हां, मुझे सेक्स से पहले मुँह में लेना अच्छा लगता है और चूस चूस कर जो लंड चिकना हो जाता है, उसके बाद चुदने में भी मजा आता है.
उसने कहा- हां यार, आंटी को चोदता हूँ, तो काफी मुश्किल से अन्दर घुसता है. कई बार तो चूत से ज्यादा गांड मार कर काम चलाना पड़ता है.

मैंने कहा- अभी तो नीतिका जवान है.
उसने कहा- हां है तो.

अब प्रकाश ने मुझे वापस लौड़ा पकड़ा दिया.
मैं हल्के हाथ से लंड सहलाती रही.

फिर मैंने पूछा- आंटी खुद आई थीं या तूने कुछ किया था?
उसने बताया- उसने जया को चोदते देख लिया था. फिर अगले दिन पास बैठ कर काफी बातें की. उनकी नजरें मेरे लंड पर थीं, तो समझ गया था. मैंने हाथ से पकड़ कर उन्हें खींचा, तो काम बन गया. तूने भी तो आंटी को चुदवाते देख मन बनाया है न!

मैंने कहा- मैंने तुम्हें नहीं देखा था. मैं तो बस आई थी. उस वक्त तुम पीछे खड़े थे.
वह बोला- अच्छा फालतू में डर गया. लेकिन चल चूत तो मिली.

इतना कहने के बाद उसका लंड फनफनाने लगा.
उसका लंड बहुत ज्यादा गर्म हो गया था.

मैंने इतने लंड लिए थे, पर इतना गर्म लंड किसी का नहीं देखा था.

उसने मुझे कमर से पकड़ कर एक बार में पूरा ऊपर लिया और लंड पर सैट करके एक जोर का धक्का देकर मेरी चूत में लंड पेल दिया.

मेरी चूत से धार बन कर पानी उसके पेट पर गिरने लगा.
उसने चौंक कर कहा- क्या री कुतिया … कितने दिन से प्यासी है?

मैंने कहा- चल ना ये सब छोड़ … मेरी ठुकाई शुरू कर!
उसने मेरा मूत साफ किया और मेरे कंधे पकड़ कर नीचे से जोर लगा कर धक्के लगाने शुरू कर दिए.

मेरे मुँह से आह्ह उह की आवाज आने लगी.

उसने मेरे दोनों बूब्स पकड़े और जो जोर से पेलना शुरू किया, तो ऐसा लग रहा था कि कोई जेनरेटर चल रहा हो.

सच में क्या स्पीड थी मादरचोद की … एक सांस में 100 से ज्यादा धक्के लगा दिए.

मैं आह्ह्ह उम्मम्म किए जा रही थी.
मेरी चूत में जैसे कोई ड्रिल मशीन लगी हो. उसने सच में मेरी चूत का बाजा बजा दिया था.

मैं सांस क्या लेती, उसके धक्कों ने मुझे आसमान तक पहुंचा दिया था.
मुझे समझ में आ गया था कि नीतिका ने उसमें क्या देखा था.

वह थोड़ा रुका और सांस ली.

उसने मुझसे पूछा- क्यूं मजा आया ना?
मैं अह्ह्ह उम्मम् करके बोली- बहुत … मैंने इतनी तेज सवारी कभी नहीं की थी.

उसने मुझे कस कर पकड़ा और एक बार फिर से शुरू हो गया.
मुझे लग रहा था कि वह मशीन है.

मेरी चूत से तेज फक्क फक्क् की आवाज आ रही थी.
मेरे मुँह से उम्म् म्म्म की आवाज आ रही थी.

वह भी तेज तेज बढ़ता जा रहा था.
उसने रुकने का नाम नहीं लिया.

थोड़ी देर बाद मुझे उसके लंड से बहुत तेज धार निकल कर मेरी चूत के अन्दर महसूस हुई.

मुझे वह अहसास इतना अच्छा लगा कि मैं उस टाइम पर उसके लंड को चूत से बाहर निकालना भूल गई.

मैं पेट से होने की फिक्र को भूल कर उसके धक्कों की रफ्तार में खो गई थी.
जब उठी, तब याद आया कि उसने सारा माल मेरी चूत में गिरा दिया है.

मैंने उससे पूछा तो उसने कहा- तेरी चूत इतना मजा दे रही थी कि बाहर निकालने की याद ही नहीं रही.

मैंने उसे डांटा, तो उसने मुझसे बोला- मैं आईपिल ला दूँगा.
मैं फटाफट बाथरूम में गई और चूत धोई.

मुझे लगा कि सच में मैं कहीं प्रेगनेंट ना हो जाऊं.
मैंने सोचा कि अब जो हुआ, सो हो गया.

फिर मैं बाहर आई तो वह बोला- अब मुझे सोना है.
मैंने कहा- यार ऐसे नहीं करो. मैं बहुत प्यासी हूँ. अभी तो मेरी गांड भी बाकी है.

उसने कहा कि शाम को आंटी की गांड मारनी है, उसको क्या जवाब दूंगा! दोपहर में उसका मूड था नहीं … तो उसने कहा कि कल आ जाना. कल उसे तबियत का बहाना देकर पूरे दिन तुझे पेलूंगा.
मैं मान गई.

उसने अलमारी से मुझे गोली लाकर दी.
मैंने नहीं खाई, वैसे ही दवा लेकर घर आ गई.

मैंने सोचा कि कल भी बिना कंडोम के लूंगी … और बाद में ही गोली लूंगी. कहीं ये गोली मेरे कल के मजे न ख़राब कर दे.
मेरे लिए रात निकाल पाना मुश्किल हो गया था.

इतने मैं प्रकाश ने अपना तना हुआ लंड मुझे ऑनलाइन भेजा.
उसकी लंड पर नसें तनी हुई थीं और लाल टोपा मेरे तन बदन में आग जलाने लगा था.

मैं वैसे भी सो नहीं पा रही थी.
मैंने खीरा लेकर खुद को शांत किया.

मैंने जैसे तैसे करके रात निकली.
अगली सुबह जया के निकलते ही प्रकाश के पास पहुंच गई.

मैंने आव देखा न ताव जोर से प्रकाश का दरवाजा खोल दिया.
मैंने देखा नीतिका जोर जोर से प्रकाश के लंड पर कूद रही थी.

मैं वहीं जम गई.
मेरे तो जैसे पैरों तले से जमीन खिसक गई थी.

मुझे ये सब पता होकर भी नया लग रहा था.
मेरी आने की फिक्र किये बिना प्रकाश जोर जोर से नीतिका को पेल रहा था.

मैंने पास आकर नीतिका को बोला- चल उठ जा कुतिया, तूने बहुत मजे ले लिए हैं, अब मेरी बारी है.
नीतिका ने मुझे नीचे खींचा और बोली- चल री रंडी … भाग इधर से … इतना कमाल का लौड़ा मैंने अपने लिए फंसाया है. तुझे ऐसे ही दे दूंगी क्या?

प्रकाश को हमारी बातों से कोई फर्क नहीं पड़ रहा था.
उसने मुझे पकड़ने की कोशिश की, मैं दूर हट गई.

मैं नीतिका की बेशर्मी देख कर हैरान थी.
वह अपने जवानी के नशे में धुत्त थी और बस प्रकाश के लंड पर डोल रही थी.

साथ ही वह अपनी कामुक आवाजें ‘आह्ह्ह अह्ह्ह …’ तेज करके मुझे चिढ़ा रही थी.
उन दोनों का बदन पसीने से पूरा भरा था.

प्रकाश का गर्म लौड़ा नीतिका की चूत का पानी खाली कर रहा था.
नीतिका अपने बूब्स पकड़ कर पूरे मजे से लंड पर कूदती जा रही थी.

फच फच के साथ प्रकाश ढीला पड़ गया, तब भी उसने नीतिका को अपने लौड़े से जकड़े रखा.
नीतिका भी पूरे मजे से चिपक गई थी.

मुझे लगा था कि आज का दिन मेरा है, मैं ही इसके लंड के पूरे मजे लूंगी.
पर मेरे हिस्से के सारे मजे तो नीतिका ले गई.

नीतिका मुझे देख कर लंड से ऊपर उठ गई और उसने प्रकाश का लंड हाथ में लेकर कहा- ऐसे ही हर रंडी को नहीं मिलता ये लंड … बहुत मेहनत लगती है.

अभी भी उसके लंड की पिचकारी से पानी निकलना चालू था जो नीतिका के हाथ पर गिरता जा रहा था.
नीतिका उठी और उसने लंड का बचा हुआ सारा माल मेरे मुँह पर रगड़ दिया.

मैं वहां से चली आई.

मैंने भी सोच लिया था कि मुझे अब प्रकाश से नहीं चुदवाना है.
प्रकाश ने दोपहर में मुझे बहुत कॉल किए, पर मैंने एक नहीं उठाया.

उसने मुझे मैसेज किया- आंटी ने बहुत तगड़ा मूड बना दिया था आज … और आंटी को शायद पता लग गया था कि उनकी जगह आप न ले लो. उन्होंने मुझे उत्तेजित कर दिया.

मैंने जवाब दिया- ठीक है ना, फिर उन्हें ही चोदो … मेरी कहां जरूरत!
उसने अपने तने लंड का फोटो भेज दिया और कहा- इसको चूत चाहिए होती है.

उसका लंड देख कर मेरे तन बदन ने मेरे दिमाग का साथ छोड़ दिया और मेरे पैर अपने आप उसके घर की तरफ चल दिए.
मैं जब घर पहुंची, तो नीतिका ने दरवाजा खोला.

मैं नहीं चाहती थी पर उसने मुझे रोक लिया.
तब मैं उसके साथ अन्दर गई.

उसने मुझसे कहा- मेरी लाइफ में सेक्स नहीं है, मेरे पति का अफेयर उन्हीं के ऑफिस में किसी के साथ चलता है. मुझे रोज बिना सेक्स के सोना पड़ता था. ऐसे में प्रकाश के लंड ने मेरी बुझती जवानी में जान डाल दी … और अब ऐसे में तुम आ जाओगी, तो वह मुझे क्यों देखेगा?

मैंने नीतिका का हाथ पकड़ा और बोला- चिंता मत करो, मैं परसों वापस चली जाऊंगी. मुझे बस एक बार के मजे उससे लेने है. वह सिर्फ तुम्हारा ही है.
मैंने झूठ बोला- मैं सिर्फ उसका चूसती हूँ, चूत में नहीं लेती. मुझे इतनी तेज स्पीड की चुदाई सहन नहीं होती है.

उसने मुझसे कहा- तुम चाहो तो एक बार ले सकती हो, पर उससे रोज बातें नहीं करोगी.
मैंने हामी भर दी.

नीतिका ने मुझे थोड़ा दूध पिलाया और प्रकाश के रूम में छोड़ दिया.
मैंने कुंडी लगाई और प्रकाश के पास चली गई.

प्रकाश मेरा इंतजार ही कर रहा था.
मैंने प्रकाश का पायजामा नीचे किया और लंड पकड़ कर पूछा- कितनी Xx हॉट लेडी की गहराइयों को नाप चुका है ये?

प्रकाश ने मेरी बात को अनसुना करके मेरा सर पकड़ा, लंड को मुँह में डलवाया और बोला- तुम बस लंड चूसो.

उसने झप खप करके मेरे मुँह को चोदना शुरू किया.
मैंने भी एक अनुभवी रंडी की तरह ऊपर से नीचे तक लंड का सेवन किया और पूरा गीला कर दिया.

अब उसने मेरे कपड़े अलग किए, मुझे बेड के सहारे नीचे खड़ा किया, झुकाया और पीछे आकर गांड में लंड पेल दिया.

लंड पेलते ही उसने जोर जोर से धक्के देने शुरू कर दिए.
मेरा मुँह फट गया- आह आह!

उसने मेरे मुँह में नीतिका की चड्डी डाल दी, जो मेरे आगे पड़ी थी.
अब मैं कुछ भी नहीं बोल पा रही थी.

उसने घपाघप मेरी गांड पेलना शुरू किया.
धक्कों की स्पीड इतनी थी कि लंड गांड खोद रहा हो, ऐसा महसूस हो था.

नीचे चूत में भी आग लग गई थी.

उसके घर्षण की बहुत तेज गति से मेरी गांड ठुकाई चल रही थी.
कुछ देर बाद उसने मुझे सीधा कर दिया.

मैंने चड्डी बाहर निकाली और उसके लंड को वापस रगड़ा.
उसने मुझे चित सुलाया और मेरे ऊपर आ गया.
मुझे कमर से पकड़ कर दमदार चुदाई शुरू कर दी.

मेरी चूत पूरी भरी हुई थी.
उसने ड्रिल करके खाली कर दी.

मैंने उसे कसके पकड़ रखा था और मेरी टांगें पूरी तरह से चौड़ी हो गई थीं.

अब मेरी टांगें भी दर्द करने लगी थीं, पर लंड का नशा इतना था कि मुझे दर्द महसूस करना भी अच्छा लग रहा था.

मैंने उसके लंड को अपनी चूत के अन्दर दबाया तो उसने फिर जोर की पिचकारी मेरी चूत में भर दी.

वह कांप कर गिर गया.

मैंने उससे पूछा- क्या हुआ?
उसने कहा- साली रंडियों … तुम दोनों को चोदते चोदते मेरा बुरा हाल हो गया है.
मैंने कहा- अभी कहां राजा, अभी तो बहुत कुछ बाकी है.

इतने में नीतिका ने दरवाजा बजाया.
वह बोली- हरामियो, मेरा भी मन हो रहा है.

मैंने दरवाजा खोला और बोला- साली कुतिया, सुबह तू पेट भरके चुदी है. अब क्या बेचारे की जान लेगी?
इतने में नीतिका ने मुझे किस कर दिया और मुझे कसके पकड़ लिया.

वैसे तो मैं लेस्बियन नहीं हूँ, पर ना जाने क्यूं मेरा मन नीतिका के साथ सेक्स करने को कर रहा था.

मेरी सेक्स कहानी काफी लम्बी है. अगला पार्ट जल्द लिखूंगी.
अब तक की Xx हॉट लेडी की अन्तर्वासना कहानी में आपको क्या अहसास हुआ, प्लीज जरूर लिखें.
धन्यवाद.
spnajain1@gmail.com

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