हॉट रंडी चोदी मैंने खुद से फंसा कर बिना पैसे दिए. मैं एक होटल का मेनेजर हूँ. वहां खूब लोग कॉल गर्ल लेकर चुदाई करने आते हैं. एक दिन पड़ोस की भाभी भी वहां चुदाई के लिए आई.
दोस्तो, मैं आपका दोस्त प्रेम पुन: एक सेक्स कहानी के साथ हाजिर हूँ.
मैं एक होटल में काम करता था.
वहां पर सभी तरह के लोग आते रहते हैं. राजनीति से जुड़े लोग भी और बदमाश भी.
हमारे होटल में कुछ बदमाश और प्रॉपर्टी डीलर इकट्ठे भी आते थे.
वे लोग ज़्यादातर दारू की पार्टी करते रहते थे.
कभी कभार वे लोग रंडी भी लेकर आते थे और मिलकर ज़बरदस्त चुदाई करते थे.
यह सेक्स कहानी मेरे पड़ोस में रहने वाली एक भाभी की है जिसमें मैंने एक हॉट रंडी चोदी!
पड़ोस वाले भैया मेरे दोस्त बन गए थे. वे यह भी जानते थे कि मैं कहां का रहने वाला हूँ.
मैं उनसे मुहल्ले की पान की दुकान पर ही मिल लेता था, कभी उनके घर जाने का अवसर नहीं मिला.
हालांकि भाभी को एक दो बार मैंने देखा था, वह बड़ी गदर माल थी.
तो मेरा मन तो करता था कि इन भैया के साथ इनके घर चला जाऊं और भाभी की जवानी को अपनी आंखों से ही चोद कर सुख ले लूं.
इसी चक्कर में मैं भैया को उस पान की दुकान पर देर तक रोक कर उनसे बात करता रहता था.
उन्हें सिगरेट वगैरह भी पिला देता था कि किसी तरफ से इनके घर जाने का मौका मिल जाए.
मैंने एक दो बार उनके मुँह से कुछ अश्लील बातें सुनीं तो मैंने उन्हें उसी तरह की बातें करने के लिए उकसाया.
वे भी खुल कर बताने लगते थे- अरे साली फलानी रंडी को मैंने पटक पटक कर चोदा था और फलानी के साथ मैंने यह किया था, वह किया था.
इसी के चलते मैंने एक बार भैया से दारू के लिए भी पूछा कि इसी बहाने हो सकता है कि भैया अपने घर लिवा ले जाएं.
उस दिन वे मुझसे दारू की बात सुनकर खुश हो गए और मुझे लेकर घर आ गए.
मैंने भी खुश था कि आज भाभी को देखने का मौका मिल जाएगा.
पर भाभी घर पर थी ही नहीं. वे अपनी जॉब से लौट कर नहीं आई थी.
और शायद उसे आज जॉब से आने में देर होने वाली थी तो वे उधर ही रुक जाने वाली थी.
मैंने भैया से पूछा- भाभी की किस तरह की जॉब है?
भैया दारू का गिलास खत्म करते हुए बोले- आंगनबाड़ी में है. वह एक नजदीक के गांव में नौकरी के लिए जाती है. इसीलिए जब उसको देर हो जाती है तो उसे वापसी की बस नहीं मिलती है. इसी वजह से वह उधर ही गांव में किसी के घर में रुक जाती है.
मैंने कहा- ओके.
आज वे भैया दारू में फुल-टू फिट हो गए थे.
तो वे मुझसे मजाक करने लगे- मैंने उसी गांव की एक भाभी पटा रखी है. वह साली मेरी रंडी बनी हुई है.
मैंने भी उनसे मजाक में बोल दिया- तो कब मिलवा रहे हो भैया उस रंडी से!
उनकी इस तरह की बातों को मैं मजाक में लेता था.
मुझे मालूम था कि यह सिर्फ बकचोदी करते हैं.
इसी तरह से मैं लगातार भाभी के चक्कर में लगा रहा था मगर भाभी से मुलाकात न हो सकी.
एक दिन मेरी अपने होटल में दोपहर की ड्यूटी थी.
मैं जैसे ही होटल में पहुंचा तो मेरे साथी ने बताया कि फलां प्रॉपर्टी डीलर आया हुआ है … और वह तुझसे मिलना चाहता है.
मैंने लापरवाही से कहा- हां मिल लेंगे, क्या जल्दी है!
यही सब बातें हो रही थीं, तभी रिसेप्शन पर फोन बज गया.
यह रूम से आया था.
फोन उठाया गया तो उन्होंने मेरी आवाज पहचान ली.
वे बोले- जल्दी से कमरे में आ!
वहां सब कुल 4 लोग थे.
मैं रूम की तरफ यही सोचता हुआ चला गया कि पता नहीं क्या काम है उनको?
मैंने कमरे के बाहर से घंटी बजाई तो अन्दर से आवाज आई- आ जा भाई कमरे में … दरवाजा खुला है.
जैसे ही मैंने दरवाजा खोला, तो देखा वहां चारों दारू के गिलास लेकर कारपेट पर बैठे थे और उनके बीच में एक औरत नंगी बैठी थी.
वह सिगरेट पी रही थी.
मैंने ध्यान से देखा और समझ गया कि यह तो पड़ोस वाली भाभी है.
हालांकि वह मुझे नहीं जानती थी क्योंकि उसके घर मेरा सिर्फ एक बार जाना हुआ था और वह भी उसकी गैर-हाजिरी में.
मैं खुद से तो उसके घर कभी जाता ही नहीं था.
उन चार में से एक ने उस भाभी के दूध मसल कर पूछा- माल कैसी लग रही है?
मैं अब भी कुछ नहीं बोला.
वह भाभी से बोले- लड़का अच्छा लगा?
वह सिगरेट पी रही थी तो धुआं उड़ाती हुई बोली- हां बहुत अच्छा लगा … चिकना है!
वे चारों हंसने लगे.
एक ने कहा- चिकना लगा है तो जा ना … चुम्मी ले ले इसकी!
जैसे ही वह मेरे पास आई, मैंने उसे धक्का दे दिया.
वह वापस हट गई और खिलखिलाने लगी.
वह हंसती हुई बोली- यह तो फट्टू है यार … पता नहीं इसका खड़ा भी होता होगा या नहीं!
वे सब हंसने और खिलखिलाने लगे.
और कुछ देर तक इसी तरह की बातें करने के बाद मैं वापिस आ गया और अपना काम करने लगा.
उधर उन चारों ने मिलकर शाम 6 बजे तक वह हॉट रंडी चोदी, उस भाभी की जमकर चुदाई की.
कुछ दिनों के बाद मुझे भाभी गांव जाने वाली बस में दिखाई दी और मैं जुगाड़ लगा कर उससे बात करने का मौका तलाशता रहा.
वह अक्सर इसी बस में सवार होकर ड्यूटी के नाम से जाती थी.
मैंने उसका पीछा किया और यही कोशिश की कि उससे बस में ही बात हो जाए.
क्योंकि गांव में बात करता तो शायद वह भड़क जाती.
जब उससे बात नहीं हुई तो एक दिन मैं ड्यूटी पर जाते हुए मैं भी उसी बस में जाकर बैठ गया, जिसमें वह रोजाना जाती थी.
उस दिन किस्मत से मुझे उसके साथ वाली सीट खाली मिल गई तो मैं उसी के बाजू में बैठ गया.
मैंने बहुत सोच समझ कर उससे बात शुरू की.
मैंने पूछा- भाभी जी, आप कहां जॉब करती हैं!
उसने बताया.
ऐसे ही बात करते करते जब हम दोनों एक दूसरे से सहज हो गए.
तो मैंने बोल दिया- आप एक महीने पहले बड़ी सेक्सी लग रही थीं.
इस पर एक बार को तो वह गुस्सा हुई- यह क्या अनाप शनाप बोल रहे हो?
मैंने बोल दिया- उन चार लोगों के बीच तुम अकेली नंगी बैठी थीं और वहां जो लड़का मिलने आया था, वह मैं ही था.
यह सुनकर एक बार को तो भाभी बिल्कुल चुप हो गई.
उसका चेहरा डर के मारे लाल हो गया.
फिर मैंने इधर उधर देख कर उसका हाथ पकड़ कर कहा- कोई बात नहीं यार … मैं किसी को नहीं बताऊंगा. बस आपको मेरे साथ दोस्ती करनी होगी.
भाभी राजी हो गई.
उसके पास और कोई चारा ही न था.
मैंने अब भाभी से खुल कर बात करनी शुरू कर दी और पूछा- आप कैसे इनके चंगुल में फंस गईं और चुदवाने लगीं?
उसने बताया- जैसा कि तुम जानते हो कि तुम्हारे भैया की कोई नौकरी नहीं है. इन्होंने मेरी नौकरी लगवाने के बहाने से मेरी चुदाई शुरू कर दी और मुझे भी इनके साथ सेक्स में मजा आने लगा. क्योंकि मैं भी प्यासी थी. अब तो मुझे इन चारों के एक साथ लंड लेने में मुझे मजा आने लगा है. मुझे अब जब भी मौका मिलता है, तो इनके साथ दारू पीने और लंड चूसने का मजा भी लेने लगी.
मैंने बोल दिया- तो भाभी मेरे लंड में कौन से कांटे लगे हैं, जो आप अपने देवर का लंड नहीं चूस रही हो.
वह हंस कर बोली- किसने कहा कि कांटे लगे हैं. अभी चलो किसी होटल में. मैं अभी के अभी तुम्हें मजा दे देती हूँ.
मैंने भी तुरंत अपने साथी से बहाना मार दिया और छुट्टी ले ली.
हम दोनों एक दूसरे होटल में पहुँच गए.
होटल के कमरे में घुसते ही भाभी भूखी शेरनी की तरह मेरे ऊपर टूट पड़ी और देखते ही देखते उसने मेरी पैंट निकाल दी.
वह मेरे लंड को मेरे अन्दररवियर के ऊपर से ही चाटने लगी.
मैंने भी दर ना करते हुए भाभी का कमीज निकाल दिया और उसकी ब्रा को भी एक झटके में निकाल दी.
उसके दोनों मोटे मोटे चूचे आज़ाद कर दिए और मैं भाभी के चूचे चूसने लगा.
अन्तर्वासना पढ़ने वाली सभी पाठिकाओं को तो पता ही है कि लड़कियों और औरतों को अपने दूध चुसवाने में कितना मजा आता है.
मुझे खुद भी चूचे चूसने में और चिकनी चूत चाटने में बहुत आनन्द आता है.
मैंने अब एक एक करके सारे कपड़े निकाल दिए और भाभी के मुँह में अपना 7 इंच का मोटा लंड डाल दिया.
भाभी एक पक्की रंडी की तरह मेरे लंड को चूसने में लग गई और मैं सातवें आसमान पर पहुँच गया.
कुछ देर बाद जब मुझसे रहा नहीं गया तो मैंने भाभी को भी पूरी नंगी कर दिया.
हम दोनों 69 की दशा में आ गए और मैंने भाभी की चूत में जुबान डालकर चूसना चालू कर दिया.
चूत चाटने वालों को तो पता ही है कि चूत चाटने में क्या मजा आता है.
हम दोनों 20 मिनट में एक दूसरे के मुँह में झड़ गए.
कुछ दर के बाद मैंने दो बीयर मंगवाईं और हम दोनों ने बियर पी.
उसके बाद अब चुदाई वाले राउंड की तैयारी में लग गए.
मैंने भाभी की गांड के नीचे तकिया लगाया और लंड चूत के छेद पर रखकर एक ही झटके में डाल दिया.
इस झटके से भाभी बेखबर थी, उसे लगा था कि मैं इतनी जल्दी लंड नहीं पेलने वाला हूँ.
सात इंच का मोटा लंड साधारणतया आम आदमी का होता नहीं है.
वह मेरे लंड के एक झटके से घुसने से दर्द से चिल्ला पड़ी.
भाभी गाली देकर बोली- मादरचोद आराम से डाल … मेरी चूत फाड़ेगा क्या आज … इसको और भी बहुत बार चुदना है!
तो मैंने भी गाली देते हुए कहा- साली रंडी … जब चार चार मर्दों का एक साथ लेती है, तब क्या तेरी मां चुदती है … तब तुझको दर्द नहीं होता बहन की लौड़ी!
भाभी हंस दी और मुझे चूम कर लंड का मजा लेने लगी.
वह बोली- गाली देने से कुछ ज्यादा अच्छा लगता है न!
मैंने कहा- हां ऐसा लगता है कि कोई अपना खास मजा दे रहा हो.
वह भी मेरी बात से इत्तफाक रखती हुई बोलीं- अब जरा चूत चुदाई के साथ चूचे भी चूस ना!
मैंने उसकी एक चूची को मुँह में भर लिया और लौड़े की चोटों की रफ्तार बढ़ा दी.
हम दोनों एक दूसरे को ऐसे ही गाली देते रहे और 30 मिनट तक चुदाई करते रहे.
जब मेरा छूटने वाला हुआ, तो मैंने पूछा कि रस कहां छोड़ूँ?
वह बोली- मेरे मुँह में छोड़ना, मुझे तुझसे प्रेग्नेंट नहीं होना है.
मैंने चूत से लंड निकालकर भाभी के मुँह में दे दिया और वह मेरा पूरा माल चाटकर पी गई.
इस तरह से फ्री में हॉट रंडी चोदी मैंने!
दोस्तो, अब मुझे जब भी मौका मिलता है, मैं भाभी को चोद लेता हूँ.
मैंने भाभी की खूब चुदाई की है.
आपको मेरी यह सेक्स कहानी कैसी लगी, मुझे जरूर बताएं.
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