लेखक- सीमा सिंह
साधना देवी ने जेनिफर से पूछा ये कैसे हो गया, तब जेनिफर ने उसे सब कुछ बता दिया उसके साथ क्या क्या हुआ है ?, उसकी पूरी बात सुनकर साधना देवी बोली तुम क्या चाहती हो ?
मैं ठाकुर प्रताप सिंह हरसन से अपने तरीके से बदला लेना चाहती हूं, जो उसने मेरे साथ किया है वो ही में उसके परिवार की औरतों के साथ में करना चाहती हूं।
जिससे उसे अहसास हो की उसने जो किया वो गलत था, तभी साधना देवी बोली मुझे कुछ दिन सोचने दो, जब तक तुम इसी आश्रम में रहो, फिर एक औरत जेनिफर को कमरे से बाहर ले गई।
जिसे ही साधना देवी को लगा की जेनिफर दूर जा चुकी है, तभी साधना देवी दहाड़ें मार मार के रोने लगी वो अपनी एक साथी से बोली मैं यहां थी और मेरी बेटी के साथ इतना सब कुछ हो रहा था।
और मुझे पता भी नहीं था, अब में अपनी बेटी का पूरा साथ दूंगी, कुछ देर बाद साधना देवी आश्रम की सभी बुजुर्गों से मिलने गई।
दरअसल आश्रम की अपनी ही प्रतिष्ठा थी, आश्रम में रोज रात को जागरण होता था, जिसमें आश्रम के कई अनुयाई आते थे, आश्रम के अनुयाई चार हिस्से में बाटी जाती थी।
पहली वो जो आश्रम में कभी कभा ही आती थी उन्हे साधा अनुयाई कहते है, दूसरी को अस्थाई अनुयाई कहते है, ये समय समय पर आश्रम में काम करती थी, और जागरण में भी आती थी।
और तीसरा हिस्सा स्थाई अनुयाई का होता था, ये पूरी तरह से आश्रम पर यकीन करती थी, ये भी आश्रम में काम करती थी।
एक और तरह के अनुयाई थे और वी आई पी अनुयाई कही जाती थी, ये वी आई पी अनुयाई आश्रम के सदस्य के साथ में रहती थी, और वो सदस्य ही उन्हें गाइड करता था।
इन सब काम को देखने के लिए आश्रम की सदस्य तीन फेस में काम करती थी, पहले फेस में सभी सदस्य ध्यान रखती थी अनुयाई को जो काम दिया है वो कर रही है और वो भी खुद काम करती थी।
दूसरे फेज की सदस्य आश्रम का सारा मैनेजमेंट देखती थी, जिसकी हेड साधना देवी थी, कह सकते है इस समय शकुंतला आश्रम की करता धरता वो ही थी।
तीसरे फेज में आश्रम की बुजुर्ग आती हैं, जो केवल प्रवचन देती है, साधना देवी ने जेनिफर के साथ हुए अत्याचार के बारे में बुजुर्गों को सब बता दिया, तो सबसे बड़ी बुजुर्ग बोली ये तो बहुत गलत हुआ है उसके साथ।
वो औरत क्या चाहती है ?, तो साधना ने जेनिफर के बदला लेने की पूरी बात उन्हें बता दी, उसके बाद दूसरी बुजुर्ग बोली हमें सोचने के लिए समय चाहिए, जब हम किसी निष्कर्ष पर पहुंच जायेंगे तो तुम्हें बुला लेंगे।
साधना ने सब को बाहर जाने के लिए कहा वो बही रुक गई उसने रोते हुए सब बुजुर्गों को बताया की जेनिफर उसकी बेटी है, अगर आप न कहती है तो मैं आश्रम के पद को त्याग करके, अपनी बेटी की मदत करूंगी।
और आप हां कहती हैं और ये राज किसी तरह से दुनिया के सामने खुल जाता है तो मैं सारा इल्जाम अपने ऊपर ले लूंगी, और आश्रम का नाम खराब नहीं होने दूंगी, और दुनिया को पूरी सचाई बता दूंगी फिर साधना बाहर चली गई।
फिर आश्रम की सभी औरतें अपने रोज के काम में लग गई, सुबह 7 बजे सभी अनुयाई अपने अपने घर जाने लगी, फिर सब सोने चले गए।
जेनिफर भी सो रही थी तभी वो अपनी पुरानी यादों में खो गई 8 मई 2015 का दिन था जेनिफर और रोबिन घर पर ही थे, तभी दरवाजे की वैल बजी।
रोबिन ने दरवाजा खोला तो उसे धक्का देकर प्रताप अंदर आ गया, उसके हाथ में कुछ बैग थे, वो जेनिफर के पास में आया और बोला कैसी हैं मेरी अप्सरा ?
जेनिफर का चेहरा गुस्से से लाल हो चुका था, तब तक रोबिन भी जेनिफर के साथ चिपक कर बैठ गया और उसके हाथों को पकड़ के उसे शांत करने लगा, प्रताप आगे बोला तुमने तो उस दिन कमाल ही कर दिया।
मुरली और वेंकट तुम से बहुत खुश हो गए थे, जिस तरह तुम्हें अपनी चूत और गांड़ मरवाई थी, उसे देखकर उन्होंने 8 लाख रुपए में ही काम कर दिया।
और उन्होंने अपने कई दोस्तों से तुम्हारी बहुत तारीफ की है, उन सब ने भी मुझे कई काम दिए हैं इसलिए में तुम्हारे लिए बीस लाख की हीरे की अंगूठी लाया हूं।
साथ में एक ड्रेस भी लाया हूं कल हम फिर से होटल चलेंगे, तभी रोबिन ने उसके सामने अपने दोनों हाथ जोड़ लिए प्रताप जी छोड़ दो मेरी जेनिफर को।
जब वो होटल से वापिस आई थी तो उसके दोनों पार्ट में बहुत सूजन आ गई थी, और उसके शरीर पर जगह जगह काटने के निसान थे।
मैं उसकी ये हालत फिर से नहीं देख सकता हूं, रोबिन बार बार प्रताप से गुहार लगाने लगा, पर प्रताप को उस पर कोई दया नहीं आई वो खड़ा हुआ और जाते हुए बोला।
ये तो शुरुआत है मैंने तो तुम्हारी बीबी को पूरे आठ महीने के लिए बुक कर लिया है, हर महीने में एक बार बाहर जायेगी और मेरा काम करेगी समझे।
और प्रताप जाने लगा तो रोबिन ने उसके पैर पकड़ लिऐ पर उसने अपना पैर झटक दिया और वहां से चला गया रोबिन बैठा बैठा रोने लगा, प्रताप जब ये सब बात बोल रहा था तब जेनिफर किसी मूर्ति की तरह रोते रोते सब सुन रही थी।
और अपने पति की हालत पर दुख जता रही थी, अगर उसने रोबिन से शादी नहीं की होती तो रोबिन के साथ ये सब नहीं हो रहा होता, जेनिफर रोबिन के पास पहुंची और उसे अपने गले से लगा लिया ।
रोबिन जेनिफर से बोला तुम यहां से दूर चली जाओ और मुझे मर जाने दो, जेनिफर ने उसे समझाया और चुप करा दिया, फिर जैसा प्रताप ने बोला था वैसा ही हुआ, अगले दिन जेनिफर रूम में थी।
इस बार कमरे में तीन आदमी थे, प्रताप ने जेनिफर को मदत के लिए सब पहले की तरह करने को कहा, और कुछ ही देर में तीनों आदमी जेनिफर के साथ नंगे नाच रहे थे।
तीनों के लंड नॉर्मल साइज के थे, फिर उन्होंने जेनिफर को नीचे खड़ा करके उसे पलंग पर झुका दिया, पहला आदमी नीचे झुक कर उसकी चूत चाट रहा था।
और दूसरा और तीसरा आदमी पलंग के ऊपर जाकर जेनिफर से अपना लंड चुसवा रहे थे, पांच मिनट होते ही दूसरा आदमी जेनिफर की चूत चाटने लगा और पहला और तीसरा लंड चुसवा रहे थे।
प्रताप बारी बारी से तीनों को सलाह दे रहा था की तुम जेनिफर को कैसे चोदो उसको भी इस तरह सलाह के बहाने ऑर्डर देने में बहुत मजा आ रहा था, जेनिफर किसी पोर्न स्टार की तरह ये सब कर रही थी।
जैसे ये उसके लिए एक काम है जो उसे करना है, फिर इसी तरह उन्होंने एक एक बार जेनिफर की चूत चोदी और लंड चुसवाया।
उसके बाद प्रताप ने जेनिफर को बेड के किनारे घोड़ी बनने को कहा वो घोड़ी बन गई उसके बाद तीसरा आदमी आगे आ गया, ये उस तीसरे आदमी की स्पेशल डिमांड थी।
वो आदमी नीचे झुका और अपना मुंह जेनिफर की चूतड़ों के पास में ले गया और उसके दोनों चूतड़ों पर किस किया, फिर अपने दोनों हाथों से उसके दोनों चूतड़ों पर जोर का चाटा मार दिया।
उस आदमी के दोनों हाथ जेनिफर के गोरे गोरे मुलायम चूतड़ों पर पूरे छप गए, उदर जैसे ही जेनिफर के चूतड़ों पर चाटों का प्रहार हुआ उसकी चीख निकल गई उउउउह्ह्ह आआआह्ह्ह्ह्ह्ह आआआआ ह्ह्ह्ह्ह् ह्ह्ह्ह मां मर गईईईईई।
चाटे बहुत झन्नटे दर थे, उसकी आंख में आसू आगे थे, उसे बहुत दर्द हुआ था, तभी एक और बार दोनों चूतड़ों पर फिर से चाटा पड़ा ये चाटा पहले वाले चाटे से तेज था।
उसकी चीख एक बार फिर से निकल गई उउउउह्ह्ह आआआह्ह्ह्ह्ह्ह आआआआ ह्ह्ह्ह्ह् ह्ह्ह्ह ओ माई गॉड आंख से आसू बहने लगे, वो आगे की ओर हो गई।
और अपने चूतड़ों को मसलने लगी, पर प्रताप ने उसके कस के बाल पकड़ लिए और उसे खींच के उसे फिर से घोड़ी बनाते हुए बोला छिनाल की बेटी जो सर कर रहे हैं।
उन्हें वो सब करने दे, जेनिफर ज्वाला मुखी जैसी आंख से प्रताप को देखने लगी और कुछ नहीं बोली, जेनिफर के फिर से घोड़ी बनते ही उसने जेनिफर के दोनों चूतड़ों पर हाथ रखे और उसकी दरार को फैला दिया।
अब उस तीसरे आदमी के सामने जेनिफर की खूबसूरत गांड़ का छेद था जो उभरा हुआ था, उसने अपनी नाक उस गांड़ के छेद पर लगा दी और गांड़ के अंदर की महक लेने लगा।
उसे जोश आने लगा उसने जेनिफर की गांड़ के छेद पर किस किया और अपनी जीभ से छेद को चाटने लगा फिर जीभ को अंदर घुसाने लगा और साथ में उसके चूतड़ों को मसलने लगा ।
अगर जेनिफर के साथ रोबिन ये सब कर रहा होता तो उसे बहुत मजा आता वो भी उसको मजा देती पर इस के साथ तो उसकी मजबूरी है इस लिए कर रही है।
इधर उस तीसरे आदमी ने अपनी जीभ जेनिफर की गांड़ के छेद में पूरी घुसा दी और अंदर बाहर करके जीभ से चोदने लगा, बीच बीच में वो अपनी जीभ को अंदर रोक देता ।
और गोल गोल घुमाकर गांड़ की दीवार पर रगड़ता, वो तीसरा आदमी अपनी जीभ को डालकर जेनिफर की गांड़ से खेल रहा था, 15 मिनट के बाद जब उस आदमी का मुंह थक गया।
जब जाकर उस आदमी ने अपना मुंह जेनिफर की गांड़ से हटाया, पहला और दूसरा आदमी उसके हटने का ही इंतजार कर रहे थे, पहले आदमी ने जेनिफर की चूत में और दूसरे आदमी ने ऑयल लगाकर जेनिफर की गांड़ में लंड डाल दिया।
और उसकी सैंडविच चूदाई करने लगे, तभी तीसरा आदमी भी जेनिफर के पास पहुंच गया और जेनिफर के मुंह को चोदने लगा, इस समय जेनिफर के तीनों छेद में लंड थे।
हर दस मिनट बाद वो अपनी जगह बदल रहे थे, ये दस मिनट और पांच मिनट का आइडिया प्रताप का था जो उसने मुरली और वेंकट के साथ बनाया था।
और अब वो इसी आइडिया से जेनिफर को हमेशा चुदवाने वाला था, उन्होंने जम कर जेनिफर की चूदाई की और उसके मुंह, चूत, गांड़ को वीर्य से भर दिया।
इसी तरह उन्होंने एक और बार जेनिफर को चोदा, इधर आश्रम में एक सदस्य ने जेनिफर को नींद से जगाया, वो जाग कर आश्रम का काम करने लगी, उसे साधना ने सफाई का काम दिया था।
तीन दिन बाद साधना और उसकी चारो दोस्त बुजुर्गों के सामने थी, एक बुजुर्ग औरत बोली वो लड़की अपना बदला ले सकती है, तुम्हारी एक साथी तुम्हारा इस काम में साथ दे सकती है।
वो चारों ही आगे आना चाहती थी, साधना ने कई बार उन चारों की मदत की थी, पर जयंती सबसे पहले आगे आ गई, उसके बाद वो बुजुर्ग बोली बाकी की तीनों इस काम से अनजान बनी रहना ।
जैसे तुमको कुछ पता ही नहीं था इन सब के बारे में सब ने हां में अपना सर हिला दिया, फिर दूसरी बुजुर्ग बोली कम से कम सदस्य इस काम में लगनी चाहिए।
इतना कहकर वो सब वहा से चली गई, अगले दिन ही जेनिफर को प्रताप के बारे में जो जो पता था, वो सब कुछ बता दिया, साधना ने प्रताप के लिए जाल बिछाना शुरू किया।
आप मेरे साथ बने रहिए और इस बदला कहानी पर किसी भी प्रकार की राय देने के लिए आप मेल पर मुझसे संपर्क कर सकते हैं.